ISRO: अंतरिक्ष से अयोध्या की तस्वीर खींचने वाले सैटेलाइट ने सर्जिकल और एयरस्ट्राइक में की थी सेना की मदद…

ISRO satellite that took pictures from space helped the army-The same satellite which took the photo of Ayodhya from space helped the army. In hindi news
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ISRO: आज पूरा देश राममय हो रहा है। चारों ओर खुशी का माहौल है। ऐसे में ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट ने अयोध्या की एक तस्वीर खींची है। इस तस्वीर को स्पेस से ली गई है, जिसमें भगवान राम का भव्य मंदिर दिख रहा है। अंतरिक्ष से भगवान राम का मंदिर कैसा दिखता है, इस तस्वीर के जरिए साफ हो रहा है। बता दें कि इस तस्वीर में सरयू नदी और अयोध्या शहर पूरी तरह दिख रहा है।

किस सैटेलाइट से ली गई अयोध्या की तस्वीर

बता दें, इसरो द्वारा खींची गई तस्वीर में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को पीले रंग से मार्क किया गया है। इस तस्वीर को देखकर राम मंदिर की भव्यता का एहसास हो रहा है। 21 जनवरी 2024 को अयोध्या और श्रीराम मंदिर की एक सैटेलाइट तस्वीर ISRO ने जारी की। देश की सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्था ने अंतरिक्ष से राम मंदिर का सुंदर दृश्य पूरे देश को दिखाया। ये तस्वीर Cartosat-2 श्रृंखला की एक सैटेलाइट से लिया गया है। यह कार्टोसैट-2/आईआरएस-पी7 या कार्टोसैट-2सी हो सकता है।

7 सैटेलाइट हैं इस श्रृंखला में शामिल

इस श्रृंखला में सात सैटेलाइट हैं। जो भारत की पूरी जमीन और सीमाओं को देखते हैं। देश की सेना इन सात में से एक का उपयोग करती है। जो पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक को सहायता दी थी। चीन के साथ सीमा संघर्ष के दौरान भी ये सैटेलाइट्स प्रयोग किए गए।

तस्वीर में दिखा अयोध्या का पूरा हिस्सा

ISRO की तस्वीर में अयोध्या का बड़ा हिस्सा और श्रीराम मंदिर भी दिख रहे हैं। रेलवे स्टेशन नीचे की तरफ दिखता है। दशरथ महल राम मंदिर की दाहिनी ओर है। सरयू नदी और उसके बाढ़ क्षेत्र ऊपर बाएं तरफ दिखते हैं। फोटो एक महीने पहले की है। क्योंकि तब से अयोध्या में मौसम बदलता चला गया है।कोहरा होने से फिर से चित्र नहीं लिया जा सका। कार्टोसैट की इस सैटेलाइट का रेजोल्यूशन एक मीटर से कम है।

सैटेलाइट की क्षमता

ये सैटेलाइट इतने शक्तिशाली हैं कि वे मीटर से कम आकार की वस्तुओं को भी चित्रित कर सकते हैं। यह चित्र हैदराबाद में स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) में बनाया जाता है और इसे संरक्षित रखता है। मंदिर का निर्माण ISRO की तकनीक से हुआ है। मंदिर बनाने वाली कंपनी लार्सेन एंड टुर्बो (L&T) ने असल में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) आधारित को-ऑर्डिनेट्स हासिल किए। मंदिर के आसपास की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए इन कॉर्डिनेट्स की सटीकता 1 से 3 सेंटीमीटर थी।

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