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भारत- फ्रांस में हो सकती है ऑकस डील‘, नौसेना को मिलेगी स्‍पेशल पनडुब्‍बी!

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पेरिस: दुनिया भर के समंदर पर चीन कब्‍जा करने का जो मंसूबा पाल रहा है, उसे फेल करने के लिए हर देश प्रयास कर रहा है। जहां अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया और यूके का संगठन ऑकस सतर्क हो गया है तो वहीं अब भारतीय नौसेना भी इस दिशा में सक्रिय है। एक रिपोर्ट की मानें तो भारतीय नौसेना सरकार से एपीआई से लैस तीन अटैक पनडुब्बियों की मांग करने का मन बना चुकी है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती चालबाजियों का जवाब देने के लिए क्‍वाड के सदस्‍यों की रणनीति में एपीआई लैस पनडुब्बियों का अहम स्‍थान है। बताया जा रहा है कि फ्रांस के नौसेना ग्रुप और मंझगांव डॉक शिपयार्ड की तरफ से जिन तीन अटैक पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है उन्‍हें ही एपीआई से लैस किया जाएगा। भारतीय नौसेना इसके लिए रक्षा खरीद परिषद (DAC) का रुख करने वाली है।

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क्‍या है API टेक्‍नोलॉजी

एपीआई यानी Air-independent propulsion, यह वह तकनीक होती है जो किसी भी गैर परमाणु पनडुब्‍बी को वातावारण की ऑक्‍सीजन के बिना भी ऑपरेट करने की क्षमता से लैस करती है। एपीआई टेक्‍नोलॉजी को काफी ताकतवर मना जाता है। यह तकनीक साधारण पनडुब्‍बी को परमाणु पनडुब्‍बी की तुलना में कहीं ज्‍यादा शक्तिशाली बना देती है। इस टेक्‍नोलॉजी से लैस पनडुब्बियां चुपचाप दुश्‍मन को खत्‍म करने की ताकत रखती हैं।

फ्रेंच स्‍कॉर्पियन क्‍लास की पनडुब्बियां

मंझगांव डॉकयार्ड पहले ही छह कलावरी क्‍लास की पनडुब्बियों का निर्माण कर चुका है। ये सभी पनडुब्बियां फ्रेंच स्‍कॉर्पियन क्‍लास की पनडुब्बियां हैं। मार्च 2024 में इसी क्‍लास की छठी पनडुब्‍बी आईएनएस वगशीर को नौसेना में शामिल किया जाएगा। एआईपी वाली तीन पनडुब्बियों को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की तरफ से विकसित किया जाएगा। मगर इनकी टेस्टिंग फ्रांस की तरफ से होगी। इसके बाद इसी एआईपी को कलावरी क्‍लास की पनडुब्‍बी में फिट किया जाएगा।

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