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म्यांमार ने रोहिंग्या मुसलमानों को कहा ‘अपना’, टीकाकरण अभियान में भी करेंगे शामिल

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म्यांमार: रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार ने कभी अपना नागरिक नही माना, लेकिन हाल ही में एक सैन्य प्रवक्ता ने अपने बयान में उन्हें अपना कहा है। म्यांमार अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों को कोरोनोवायरस के खिलाफ टीका लगाएगा, इसकी सत्तारूढ़ सेना के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि टीकाकरण अभियान में कोई भी पीछे नहीं रहेगा। प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने कहा कि हमारे अधिकारी कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने और टीकाकरण की गति को बढ़ाने में प्रगति कर रहे हैं और इस साल के अंत तक देश की आधी आबादी को टीका लगाने का लक्ष्य है।

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आगे प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवक्ता ने कहा “वे भी हमारे लोग हैं” हम उनको पीछे नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा, ‘म्यांमार में गुरुवार को 2,635 नए कोरोनावायरस संक्रमण और 113 अतिरिक्त मौतों की खबर है, हालांकि दैनिक मामलों और रिपोर्ट की गई मौतों की संख्या जुलाई में चरम हिट से कम हो गई है। टीकाकरण में बांग्लादेश की सीमा से लगे मौंगडॉ और बुथिदौंग जिलों के रोहिंग्या लोग भी शामिल होंगे।’

कौन हैं रोहिंग्या समुदाय

कहा जाता है रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है जिस पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म होता आया है। रोहिंग्या मुसलमान कथित तौर पर अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। म्यांमार में तकरीबन 10 लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान हैं। सरकारें इन्हें नागरिकता देने से इनकार करती रही है। रोहिंग्या मुसलमान आज भी तकलीफ में जी रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जाता रहा हैं। लाखों की संख्या में बिना दस्तावेज़ वाले रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में रह रहे हैं। साल 2017 में लाखों लोग म्यांमार से विस्थापित हो कर अलग-अलग देशों में रहने लगे, लेकिन आज भी कोई देश उन्हें अधिकार और नागरिकता नहीं दे रहा है।

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