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India Russia China: G-20 अध्‍यक्षता को चौपट करने की साजिश में लगा ड्रैगन

बीजिंग: G-20 देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग के बाद अब भारत इस सम्‍मेलन की तैयारियों में जुट गया है। आयोजन से पहले ही सम्‍मेलन कई वजहों से खबरों में छा गया। जब जापान के विदेश मंत्री ने भारत आने से इनकार किया तो पहला झटका लगा। माना गया कि चीन की वजह से उन्‍होंने इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद यूक्रेन जंग पर जब साझा बयान जारी करने से चीन और रूस ने दूरी बना ली तो स्थितियां जटिल हो गईं। विशेषज्ञों की मानें तो चीन अब रूस का प्रयोग कर इस आयोजन में बाधा डालने की साजिश कर रहा है। जी-20, सम्‍मेलन पूरी दुनिया में भारत के बढ़ते कद का सबूत है और चीन को यही बात अब अखरने लगी है।

रूस से थी जिनपिंग को कई उम्‍मीदें

अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर माधवदास नालापत के मुताबिक चीन को ऐसा लगता था कि रूस, भारत को अमेरिका के करीब जाने से रोक सकता है। जब एस-400 की डील फाइनल हुई तो चीन काफी खुश हुआ। जहां तुर्की पर इस डील की वजह से कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे तो भारत के लिए नियमों में ही बदलाव कर दिया गया। यहां से सारा खेल बिगड़ गया।

कई देश चीन के विरोधी हैं

भारत, अमेरिका के करीब होता गया और चीन को यह बात नागवार गुजर रही है। भारत और अमेरिका के बीच कई रक्षा सौदे होते गए और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की पुतिन से जो उम्‍मीदें थीं, वो टूट गईं। वह यह मानने लगे कि पुतिन, भारत और अमेरिका के बीच दूरियां लाने में असफल रहे हैं। अमेरिका के अलावा यूके, फ्रांस और इटली भी अब भारत से हाथ मिला रहे हैं और ये तमाम देश चीन के विरोधी हैं। यूक्रेन की जंग की वजह से ये रूस के भी खिलाफ हो गए हैं।

जिनपिंग का सपना पुतिन ने तोड़ा!

जिनपिंग का मानना है कि रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को जो जिम्‍मा सौंपा गया था, वह‍ उसे पूरा करने में असफल रहे हैं। दो मार्च को जब विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई तो इस मीटिंग के बाद एक साझा बयान जारी होना था। इस मीटिंग को पूरी तरह से असफल करने के प्रयास भी किए गए। यूक्रेन की जंग की वजह से हर देश ने रूस की आलोचना की मगर चीन के साथ ही साथ रूसी विदेश मंत्री ने इसका विरोध किया। दक्षिण कोरिया और जापान के विदेश मंत्री इससे दूर रहे।

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