
Shubhanshu Shukla Earth Return : भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद आखिरकार आज सुरक्षित रूप से धरती पर वापसी की है. वहीं पूरे देश में गर्व और खुशी की लहर देखने को मिल रही है. यह ऐतिहासिक मिशन एक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहकर कई अहम वैज्ञानिक शोधों को अंजाम दिया है. हर दिन वे हजारों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए अंतरिक्ष के असीम विस्तार में मानवता के लिए नई संभावनाएं खोज रहे थे.
मालूम हो कि इस यात्रा की शुरुआत 25 जून 2025 को हुई थी, जब शुभांशु ने स्पेसX के फाल्कन-9 रॉकेट से अंतरिक्ष की उड़ान भरी. अगले ही दिन, 26 जून को वे सफलतापूर्वक ISS पर पहुंचे और जहां वह अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ 18 दिनों तक रहकर अंतरिक्ष मिशन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उन्हें 10 जुलाई को लौटना था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों के चलते उनकी वापसी कुछ दिन टल गई. हालांकि, उनकी सफल वापसी ने यह साबित कर दिया कि भारत अब न सिर्फ अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल हो रहा है, बल्कि दुनिया के सामने मजबूती से खड़ा है.
अंतरिक्ष में शोध की झलक
बता दें कि ISS पर रहते हुए शुक्ला ने जीवन‑विज्ञान, भौतिकी और फसल विज्ञान से जुड़े 60 से अधिक प्रयोग पूरे किए हैं. जिसमें मांसपेशी हानि को रोकने, सूक्ष्म गुरुत्व में मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी और माइक्रोग्रैविटी फार्मिंग शामिल हैं. वहीं इन नतीजों से भविष्य के चंद्र‑मार्स अभियानों को सीधा लाभ मिलेगा.

शुभांशु ने 25 जून 2025 को फाल्कन 9 रॉकेट से उड़ान भरी थी और 26 जून को वे ISS से जुड़े.
वापसी की रोमांचक प्रक्रिया
14 जुलाई की शाम 4:45 PM IST पर ग्रेस ने ISS से अंडॉक किया. डी‑ऑर्बिट बर्न के बाद कैप्सूल 27,000 किमी/घं की रफ्तार से वायुमंडल में दाखिल हुआ, जहां 1,600 °C तक का तापमान हीट‑शील्ड ने झेला. जिसके बाद तीन विशाल पैराशूट खुलते ही गति घटकर 25 किमी/घं की हो गई थी. साथ ही कैप्सूल ने शांत पानी में सही समय पर स्प्लैशडाउन किया.

यहां तस्वीर में आप देख सकते हैं कि शुभांशु कैसे एक स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल के जरिए धरती पर उतरे.
परिवार और देश की खुशी
शुक्ला की इस वापसी पर लखनऊ स्थित उनके घर में जश्न का माहौल है. उनकी मां ने बेटे की सलामती के लिए सुंदरकांड का पाठ करते हुए कहा, “वह पूरा देश का बेटा है”. उनका इतना कहना था कि सोशल मीडिया पर #WelcomeShux ट्रेंड होने लगा, जहां युवाओं ने उन्हें अपना रोल‑मॉडल मान लिया.

जानें क्या है आगे की राह
दरअसल स्प्लैशडाउन के तुरंत बाद मेडिकल टीम ने प्रारंभिक जांच कर उन्हें सैन डिएगो के क्रू क्वारंटीन फैसिलिटी भेजा है, जहां अब वह 10 दिन के आइसोलेशन में रहेंगे. इसके बाद इसरो‑नासा संयुक्त प्रेस‑कॉन्फेंस में वे अपने प्रयोगों के विस्तृत नतीजे पूरे देश के साथ साझा करेंगे. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिशन गगनयान की उड़ानों के लिए रोडमैप तैयार करेगा. इतना ही नहीं यह भारत को अंतरिक्ष‑शक्ति के रूप में और मजबूत बनाएगा.
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