तालिबान से अपनी शर्तों पर बात करने को तैयार भारत, तालिबान ने भी पाकिस्तान को दिया झटका बोला- “कश्मीर मुद्दे पर नहीं देंगे दखल”

नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरा कब्ज़ा होने के बाद मंगलवार को अमेरिका ने अपने सैनिकों की आख़िरी टुकड़ी को भी वापस बुला लिया है। तालिबान दुनिया के सभी देशों से अच्छे संबंध बनाना चाहता है और इसी के चलते उसने भारत से भी बातचीत की पेशकश की थी। लेकिन भारत का रूख साफ नहीं हो पा रहा था। परन्तु अब उसने भी अपनी शर्तों पर तालिबान से बातचीत के लिए हामी भर दी है।
भारत ने रखीं तीन शर्तें
दोनों देशों में पहली बार दोहा में बातचीत हुई है। भारत ने तालिबान की राजनीतिक शाखा के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई के सामने साफ शब्दों मे अपना पक्ष रखा है। दोनों के बीच हुई इस चर्चा में भारत ने तीन मुख्यं शर्तें रखीं।
- आने वाले दिनों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी हो।
- जो अफगान नागरिक अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहते हैं, उन्हें बिना किसी रोकटोक या परेशानी के निकलने की अनुमति दी जाए।
- अफगानिस्तागन की भूमि को भारत के खिलाफ इस्ते माल न होने दिया जाए।
इन सभी पर फिलहाल स्तािनिकजई ने अपनी सहमति भी जता दी है। इससे पहले भी अफगानिस्तान भारत की तारीफ करता रहा है। अफगानिस्तान में भारत द्वारा किए गये निवेशों को तालिबान ज़ारी रखना चाहता है, इसलिए भी वो भारत से अच्छे संबंध चाहता है।
कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं
इसके अलावा तालिबान ने पाकिस्तान के उस दावे का भी खंडन किया, जिसमें पाकिस्तान कहता रहा है कि कश्मीर मुद्दे पर तालिबान उनकी सहायता करेगा। तालिबान के शीर्ष नेता अनस हक्कानी ने भारत के साथ उनके संबंधों और कश्मीर मुद्दे पर बात की।
उन्होंने कहा कि ‘कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। हमारी नीति के अनुसार हम दूसरे देशों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं, और उम्मीद भी करते हैं कि दूसरे देश भी हमारे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। हम सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहते हैं। हमारे दरवाजे सबके लिए खुले हैं। हम पूरी दुनिया के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं।’
हक्कानी ने आगे कहा कि ‘हम भारत के साथ भी अच्छे संबंध चाहते हैं। भारत ने हमारे दुश्मन की कई सालों तक मदद की है. लेकिन हम सारी पुरानी बातें भुलाकर भारत के साथ रिश्ते को शांतिपूर्वक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।‘
भारतीय मीडिया हमारा नकारात्मक प्रचार कर रहा है: हक्कानी
हक्कानी ने कहा कि हमने बीस वर्षों तक आजादी की लड़ाई लड़ी है। हमारे बारे में दुनिया भर की मीडिया खासकर भारत की मीडिया नकारात्मक प्रचार कर रही हैं। जिसकी वजह से माहौल खराब हो रहा है। हमने युद्ध में कभी भी किसी भी तरह के पाकिस्तानी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया। ये आरोप गलत और बेबुनियाद हैं। हमारी तमन्ना है कि भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया हमारा समर्थन करे।
उन्होंने ये भी कहा कि मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि अफगानिस्तान में सभी धर्मों के लोग सुरक्षित हैं। शुरू में कुछ चीजें गड़बड़ हुई थीं, लोग डरे और घबराए थे, लेकिन अब सब कुछ ठीक हो गया है। सभी लोग खुश हैं।
भारत ने तालिबान से बात तो की लेकिन उसे मान्यता देने की बात स्पष्ट नहीं की।
- भारत ने पिछले कई सालों में अफगानिस्तानन में करोड़ों डॉलर्स का निवेश किया है। अफगानिस्तान से संबंध ठीक न होने व तालिबान के साथ वार्ता में शामिल न होने से इस निवेश पर संकट आ सकता है। और भारत को काफी नुकसान हो सकता है।
- हिंदूस्तान एशिया का एक अहम देश है। और तालिबान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तालिबान भारत का साथ लेकर विश्वर के सामने खुद की सुधरी हुई छवि के सबूत पेश कर सकता है।
- इंडिया ने तालिबान से अपनी शर्तों पर बात की है लेकिन, ये स्पष्ट नहीं किया है, कि वो तालिबानी सरकार को मान्यनता देगा या नहीं।
- भारत ने तालिबानी सोच का साथ कभी नहीं दिया है। भारत अफगानिस्तापन में अमन शांति और आजादी का पक्षधर है। उसका कहना है कि महिलाओं का सम्मा न किया जाए, उन्हें सारे अधिकार दिये जाएं।
- यदि यह वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ती है तो ये दोनो देशों के लिए अच्छा होगा। इसका असर कश्मीहर की शांति पर भी पड़ सकता है। तालिबान पाकिस्तानी आतंकियों का साथ देगा, इस आशंका पर भी अंकुश लग जाएगा।
- भारत ने अफगानिस्तारन में वहां की संसद, स्कूसल, कॉलेज, अस्पहताल आदि का भी निर्माण करवाया है। अफगानिस्तान में बिजली की आपूर्ति बढ़ाने के लिए हैरात प्रांत में बांध भी बनाया है। इसके साथ-साथ भारत ने हजारों गाडि़यां भी उस समय की सरकार को उपलब्ध करवाई हैं।