एक बार फिर से शुरू होगी मानसरोवर यात्रा, भारत-चीन की बैठक में लिया गया बड़ा फैसला

India and China agreed on Manasarovar Yatra :

India and China agreed on Manasarovar Yatra : एक बार फिर से शुरू होगी मानसरोवर यात्रा, भारत-चीन की बैठक में लिया गया बड़ा फैसला

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India and China agreed on Manasarovar Yatra : भारत और चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर राजी हो गए हैं। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से यह जानकारी साझा की गई है। भारत और चीन में बढ़ते तनाव को देखते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा रोक दी गई थी। साल 2020 के बाद से ही यात्रा के दोनों आधिकारिक रूट भारतीयों के लिए बंद हैं। हिंदुओं की मान्यता है कि कैलाश मानसरोवर भगवान शिव का निवास स्थान है। इसलिए हर बड़े संख्या में लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं।

बता दें कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री दो दिवसीय चीन दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने दोनों देशों की एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया। यह बैठक विदेश सचिव और चीनी उप विदेश मंत्री के बीच संवाद के लिए आयोजित की गई थी। बैठक में भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की गई और भविष्य में संबंधों को मजबूत बनाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने पर सहमति जताई गई। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सोमवार को यह जानकारी दी। 

जल्द होगी भारत-चीन विशेषज्ञ स्तर की बैठक

विदेश मंत्रालय ने बताया कि बैठक के दौरान दोनों देशों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को इस साल गर्मियों में फिर से शुरू करने का फैसला लिया। इस यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए मौजूदा समझौतों के तहत जरूरी व्यवस्थाओं पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा, भारत और चीन ने जलवायु आंकड़ों के आदान-प्रदान और सीमा पार नदियों से जुड़े अन्य सहयोग पर बातचतीत के लिए दोनों देशों के बीच विशेषज्ञ स्तर के तंत्र की जल्द बैठक आयोजित करने पर सहमति जताई। 

इस बैठक में चीन के द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध के बारे में भारत की चिंताओं से अवगत कराया गया। मिस्री ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी समेत कई महत्वपूर्ण नेताओं से भी मुलाकात की। इस साल भारत-चीन राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के अवसर पर संबंधों को तेजी से मजबूत करने पर सहमति भी बनी है।

हवाई सेवा शुरू करने के लिए बैठक करेंगे अधिकारी

दोनों देशों के लोगों ने आपसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मीडिया और विचार मंचों की बातचीत को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने का भी फैसला लिया गया। इसके लिए जल्द ही दोनों देशों के तकनीकी अधिकारी बैठक करेंगे और एक नया ढांचा तैयार करेंगे।  

कैलाश मानसरोवर का ज्यादातर एरिया तिब्बत में

आपको बताते चलें कि कैलाश मानसरोवर का ज्यादातर एरिया तिब्बत में है। तिब्बत पर चीन अपना अधिकार बताता है। कैलाश पर्वत श्रेणी कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है। इस इलाके में ल्हा चू और झोंग चू नाम की दो जगहों के बीच एक पहाड़ है। यहीं पर इस पहाड़ के दो जुड़े हुए शिखर हैं। इसमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है।

इस शिखर का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा है। उत्तराखंड के लिपुलेख से यह जगह सिर्फ 65 किलोमीटर दूर है। फिलहाल कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है। इसलिए यहां जाने के लिए चीन की अनुमति चाहिए होती है।

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