Ganpati Bappa Morya: जानें आखिर गणेश चतुर्थी पर क्यों लगाया जाता है ‘गणपति बप्पा मोरया’ का नारा?

Ganpati Bappa Morya: आज यानि 31 अगस्त से गणेश चतुर्थी से 10 दिनों का गणेशोत्सव शुरू हो गया है। बुधवार यानि आज गणेश जी की प्रतिमाएं पूरे विधि-विधान से स्थापित की जाएंगी। गणपति बप्पा अगले 10 दिनों तक अपने भक्तों के साथ रहेंगे। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) से पूरे देश में गणपति पंडालों में एक ही गूंज सुनाई पड़ेगी, गणपति बप्पा मोरया। लेकिन आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि आखिर Ganpati Bappa Morya कहकर ही गणेश को क्यों पुकारा जाता है। आज हम आपकी यह उलझन दूर करेंगे और इस शब्द के पीछे का अर्थ आपको बताएंगे।
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गणेश चतुर्थी पर क्यों लगाया जाता है ‘गणपति बप्पा मोरया’ का नारा?
गणपति बप्पा से जुड़े मोरया शब्द (Ganpati Bappa Morya) के पीछे गणपति जी का मयूरेश्वर स्वरूप माना जाता है। गणेश-पुराण के अनुसार सिंधु नामक दानव के अत्याचार से सभी लोग तंग आ चुके थे। वह महा बलशाली था और देवी देवता, मानव सभी उसके आततायी स्वरूप से त्रस्त होकर बचने का उपाय ढूंढ रहे थे। बचने के लिए देव गणों ने गणपति जी का आह्वान किया। सिंधु का संहार करने के लिए गणेश जी (Lord Ganesh) ने मोर यानी मयूर को अपना वाहन चुना और छह भुजाओं वाला अवतार धारण किया। इस अवतार की पूजा भक्त लोग ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे के साथ करते हैं।
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इस बार लाल बाग के राजा का पंडाल मुंबई में आकर्षण का केंद्र होने जा रहा है क्योंकि अबकी बार बप्पा का दरबार अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की तरह बनाया गया है। इस साल, लालबागचा राजा एक बार फिर 12 फीट की विशाल मूर्ति के साथ सिंहासन पर अपनी शाही मुद्रा में बैठे नजर आ रहे हैं। यहां परंपरा है कि गणेश चतुर्थी से दो दिन पहले बप्पा का मुख दर्शन होता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रथम दर्शन के लिए जुटते हैं। यहां की मूर्ति हर साल चर्चा में रहती है।