Diwali 2023: क्यों मनाते हैं दीपावली, पौराणिक कथा और लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

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साल भर के इंतजार के बाद आज दिपावली, हर्षोल्लास का पर्व, बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। दीपावली पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। भक्तों को इस दिन पूजा करने और माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। दीपावली का अर्थ है रौनक, पकवान, हंसी, खुशी, साफ सफाई, रंगोली और दीये। दीपावली क्यों मनाई जाती है, आइए आपको बताते हैं..

पौराणिक कथा

भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी। इस उपलक्ष में संपूर्ण अयोध्या वासियों ने दीपोत्सव का आयोजन कर भगवान श्रीराम का स्वागत किया था। तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्योहार उसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल भी अयोध्या नगरी दिपों से जगमगा उठी है।

शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे। तब समुद्र मंथन से 14 रत्नों की उत्पत्ति हुई थी जिनमें से एक माता लक्ष्मी भी थीं। मान्यता है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव सभी की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

कैसे करें लक्ष्मी पूजन की तैयारी

पहले चौकी पर लाल कपड़ा बिछाओ. लाल कपड़े के बीच में गणेश जी और लक्ष्मी माता की मूर्ति लगाओ। ध्यान से लक्ष्मी जी को गणेशजी के दाहिने तरफ बिठायें और दोनों मूर्तियों को पूरब-पश्चिम की ओर रखे। अब चाहे तो सोने-चांदी के आभूषण और पांच चांदी के सिक्के दोनों मूर्तियों के पास रखें। कुबेर का रूप चांदी के सिक्के है। लक्ष्मी की मूर्ति के दाहिनी ओर आठ दिशाएं उंगली से बनाएं, फिर जल से भरे कलश को उस पर रखें। कलश में दुर्व, पंचरत्न, सुपारी, आम या केले के पत्ते, चंदन और मौली से बंधा हुआ नारियल डालें। पानी के बर्तन या जल पात्र में साफ पानी डालें, उसमें मौली डालें और थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं। इसके बाद चौकी के सामने थालीया और बाकी पूजा सामग्री रखें। दो बड़े दिये में देसी घी डालकर ग्यारह छोटे दिये में सरसो का तेल भरकर रखें।

आइए जानते हैं लक्ष्मी पूजन के नियम

सबसे पहले, मंदिर का पवित्रीकरण करें। हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल लेकर सामने रखी मूर्तिओं पर छिड़कें। इसके साथ मंत्र जाप करें। दीपावली के दिन एक चांदी का सिक्का हर कलश में होना चाहिए; अगर कोई चांदी का सिक्का नहीं रख सकता, तो समान्य सिक्का भी रख सकता है। ताकि लक्ष्मी हमेशा एक कलश में आए। गणेश जी को कलश के भीतर रहने के लिए एक सुपारी भी रखनी चाहिए। कलश के चारों कोनों पर तिलक लगायें ताकि घर में वेद बुद्धि आए और चारों दिशाओं के देवता हम पर कृपा करें।

दीपावली के दिन श्री सूक्त का पाठ करके मेरु यंत्र या श्री यंत्र को हल्दी से अभिषेक करना चाहिए। दीपावली के दिन कोई ऐसा करता है तो उसे जीवन भर धन मिलेगा। माना जाता है कि दीपावली की शाम को मां लक्ष्मी हर घर आती है। इसलिए दीपावली की रात को ब्रह्ममुहूर्त तक जागरण करना चाहिए। हमेशा मां लक्ष्मी का नाम उच्चारण करते रहना चाहिए, क्योंकि कोई नहीं जानता कि कब मां हमारे घर में आ जाएगी।

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहुर्त आज शाम 5:38 से लेकर 7:35  तक रहेगा। इसके बाद रात्रि को 11:35 से 12:32  तक लक्ष्मी पूजा का निशिता काल मुहूर्त बनेगा।

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