जिला अस्पताल का कारनामा, जिंदा मरीज का भर दिया पचंनामा और अस्पताल में ही चलता रहा ईलाज

District Hospital ka karnama

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District Hospital ka karnama : सरकारी सिस्टम से आमजन ऐसे ही नहीं डरते हैं. आज की घटना के बाद आपको भी पता लगेगा कि वो क्या-क्या गजब करते हैं. मामला उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के जिला अस्पताल का है. यहां अस्पताल प्रशासन ने एक जिंदा मरीज का पंचनामा भर दिया. उसके परिजनों को सूचित भी कर दिया. अपने घर के व्यक्ति का शव तलाश करने में परिजनों की चप्पलें घिस गईं. लेकिन वो नहीं मिले. मिलते भी कैसे ? दरअसल वो जिंदा थे. वो भी कहीं और नहीं अस्पताल के ही इमरजेंसी वार्ड में. वहां उनका लावारिस के तौर पर इलाज चल रहा था. मामले में अस्पताल प्रशासन अब मुंह छिपाते फिर रहा है.

सरकारी अस्पताल की सरकारी खाट पर लेटा हुआ 65 साल का बुजुर्ग सिस्टम की कारगुजारी को तमाचा मारते हुए बता रहा है की साहब अभी मैं जिंदा हूं। अभी भी जिस्म से रुह रुखसत नहीं हुई है. दरअसल बुधवार को गोरखपुर के जिला अस्पताल में सिस्टम की कलई खोलने वाला एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया। 65 साल के बुजुर्ग सरयू के परिवार वालों को बुलाकर उनका पंचनामा करवा दिया। बाद में जब बुजुर्ग सरयू जिंदा मिले तो स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। इसी हड़कंप से असली हकीकत सामने आई।

दरअसल बताया गया कि इमरजेंसी वार्ड में भर्ती बख्शीपुर चौराहा गोला के निवासी सरयू की मौत की सूचना वहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने देकर उनके परिवार वालों से कहा कि वह मोर्चरी में सरयू का शव ले लें। करीब 2 घंटे मोहल्ले वालों ने मुर्दाघर से कोतवाली थाने तक परेड कर डाली मगर सरयू की लाश मिली ही नहीं। मिलती भी कैसे उसका इलाज अभी भी सदर अस्पताल में चल रहा था। सरयू के मौत का फरमान यानी कि मेमो स्वास्थ्य कर्मियों ने एक हफ्ता पहले ही मोहल्ले वालों को दे दिया था। मोहल्ले वालों को मुर्दाघर में दो शव को दिखाए गए, दोनों की पहचान से इनकार करते हुए मोहल्ले वालों ने कहा कि यह तो सरयू चाचा है ही नहीं। बाद में जब इमरजेंसी वार्ड में देखा तो सरयू चाचा सरकारी बेड पर इलाज करवा रहे थे.

फिर क्या हंगामा हुआ. स्वास्थ्य कर्मी ने हाथ पैर जोड़ना शुरु कर दिया. अस्पताल वालों ने कहा कि इनका इलाज तो लावारिस के तौर पर किया जा रहा था। बाद में यह भी पता चला कि घोष कंपनी का एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया था। गलती से सरयू का मेमो तैयार हो गया। अब पूरे जिला अस्पताल में इसी बात की चर्चा है कि सरयू चाचा के जिंदा होने पर उनका पंचनामा कैसे भर गया जबकि चाचा का इलाज तो लावारिस के तौर पर अस्पताल में किया जा रहा था।

रिपोर्ट : सतीश शुक्ला, संवाददाता, गोरखपुर, उत्तरप्रदेश

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