2024 के अंत तक चैट जीपीटी के दिवालिया होने के हैं आसार, जानिए क्या कहती है एनालिटिक्स इंडिया मैगजीन की रिपोर्ट

सैम ऑल्टमैन की कंपनी ओपन एआई ने चैट जीपीटी का आविष्कार कर के निश्चित ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और तकनीक की इस खोज से आम लोगों को भी काफी मदद मिली है। हालांकि, टेक्नोलॉजी के इस दौर में अब चैट जीपीटी जैसे कई एआई टूल्स प्रतिस्पर्धा में चैट जीपीटी को पीछे छोड़ आगे निकल आए हैं। खासकर “Google bard” के आ जाने से चैट जीपीटी को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है।
हाल ही में आई एनालिटिक्स इंडिया की रिपोर्ट की माने तो 2024 के अंत तक चैट जीपीटी के दिवालिया हो जाने के आसार दिख रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार ओपन एआई कंपनी प्रतिदिन 7 लाख डॉलर यानी 580 करोड़ रुपए सिर्फ चैट जीपीटी के मेंटेनेंस पर खर्च करती है, जो की चैट जीपीटी से आए रेवेन्यू से काफी ज्यादा है और अगर कंपनी इसी प्रकार कंपनी रेवेन्यू से कहीं ज्यादा पैसे खर्च करती रही तो चैट जीपीटी को फिर दिवालिया होने से कोई नहीं बचा सकता। बात सिर्फ मेंटेनेंस चार्ज की ही नहीं है,असल मुद्दा तो चैट जीपीटी के यूजर बेस का है जो दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है।
सिमिलर वेब के आंकड़ों के अनुसार चैट जीपीटी के यूजर्स की संख्या में 12% की गिरावट सिर्फ जुलाई 2023 में देखने को मिली है, वहीं अगर बात करें जून की तो जून महीने में चैट जीपीटी का यूजर बेस 1.7 बिलियन था, जो की जुलाई में घट कर 1.5 बिलियन हो गया और इस आंकड़ों में वेबसाइट पर विजिट करने वाले यूजर्स भी शामिल है। इतना ही नहीं ChatGPT 3.5 और ChatGPT 4 का व्यावसायीकरण करने के बाद भी ओपन एआई पैसा कमाने में असमर्थ है, क्योंकि उसे अपना सारा पैसा डेली मेंटेनेंस पर खर्च करना पड़ रहा है।
चैट जीपीटी के यूजर्स का यूं एकाएक कम होने का एक कारण यह भी है कि चैट जीपीटी अपने यूजर्स को साइन अप करने के बाद ही किसी भी तरह की सुविधा प्रदान करता है, वहीं बाकी जो नए एआई लैस तकनीक और वेबसाइट्स हैं वो साइन अप की अनुमति के बगैर भी यूजर्स को प्रयोग करने की अनुमति देते है।
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