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कोरोना काल में दुनिया भर की इकोनॉमी का बुरा हाल, भारत को उबरने में लग सकते हैं 15 साल

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कोरोना काल में दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं का बुरा हाल है। भारत की अर्थव्यवस्था भी इससे अछूता नहीं है। भारत में पूर्ण लॉकडाउन और कई राज्यों में छोटे-छोटे लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है।

भारत की अर्थव्यवस्था
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कोरोना काल में दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं का बुरा हाल है। भारत की अर्थव्यवस्था भी इससे अछूता नहीं है। भारत में पूर्ण लॉकडाउन और कई राज्यों में छोटे-छोटे लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। इकोनॉमी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि इससे भारतीय इकोनॉमी को उबरने में 15 साल लगेंगे।

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हाल ही में रिजर्व बैंक ने अपनी 2021-22 की Report on Currency and Finance (RCF) जारी की है। रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई होने में कम से कम 15 साल का वक्त लगेगा।

इसके साथ ही आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में इकोनॉमी की चाल को बदलने के लिए 7 अहम बिंदुओं पर ध्यान देने के लिए कहा है। इसमें देश के अंदर मांग को बढ़ाना और उसके अनुरूप सप्लाई करना शामिल है। साथ ही अपने इंस्टीट्यूट्स, इंटरमीडियरी और मार्केट पर ध्यान देना होगा, जबकि वृहद आर्थिक स्थिरता के साथ समन्वय की नीति, तकनीकी प्रगति और उत्पादकता, ढांचे में बदलाव के साथ उसके टिकाऊ रहने पर जोर देना होगा।

देश की आर्थिक स्थिति अच्छी रहे इसके लिए केंद्रीय बैंक ने सरकार के ऊपर कर्ज के बोझ को भी कम करने की बात कही है। रिजर्व बैंक का कहना है कि भारत को मध्यावधि में अपनी ग्रोथ को सुरक्षित रखना है तो उसे अगले 5 साल में सरकार पर कर्ज के बोझ को कुल सकल घरेलू उत्पाद के 66 फीसदी नीचे लाना होगा।

आरबीआई ने बढ़ाया रेपो रेट

वहीं दूसरी तरफ बुधवार को रिजर्व बैंक ने अपनी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी। एक झटके में 0.40 फीसदी बढ़ोतरी के साथ ही अब वर्तमान रेपो रेट 4.40 फीसदी हो गया है। रेपो रेट बढ़ने से अब सस्ता लोन का दौर समाप्त होने वाला है। रिजर्व बैंक के इस ऐलान के बाद अब लोगों के ऊपर EMI का बोझ बढ़ना तय है।

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