फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल और 50 लाख तक का जुर्माना, लोकसभा में पारित हुआ टेलीकॉम विधेयक

बुधवार को लोकसभा ने 2023 के दूरसंचार विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह कानून 138 वर्ष पुराने भारतीय टेलीग्राफ कानून की जगह लेगा। इस विधेयक में सरकार को किसी भी देश या व्यक्ति के टेलीकॉम सेवा से जुड़े उपकरणों को निलंबित या प्रतिबंधित करने का अधिकार दिया गया है, क्योंकि यह देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, आपातकालीन परिस्थितियों में नेटवर्क और मोबाइल सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने का भी आदेश दिया गया है। नए विधेयक में उपग्रह स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए गैर-नीलामी प्रक्रिया भी शामिल है।
ध्वनिमत से किया गया पारित
इस विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया था। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे सदन में चर्चा और बहस के लिए रखा था। व्यापक चर्चा के बाद बुधवार को निम्न सदन में इसे पारित कर दिया गया। निलंबन के बाद अधिकांश विपक्षी सदस्य सदन में उपस्थित नहीं हुए थे।
श्विनी वैष्णव ने इस बिल पर लोकसभा में बहस का जवाब दिया। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये विधेयक सार्वजनिक आपातकाल में संदेशों को रोकने और अवरोधन करने का प्रावधान करता है, जो आम जनता के हित में है। भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 अब इस नए अधिनियम की जगह लेंगे। फर्जी सिम खरीदने पर इस कानून में तीन वर्ष की जेल और 50 लाख रुपये की सजा का प्रावधान है। यही नहीं, कानून ने उपभोक्ताओं को सिम कार्ड देने से पहले अपनी बायोमेट्रिक पहचान अनिवार्य करने को कहा है।
विज्ञापनों को पूर्व अनुमति चाहिए
विज्ञापन-प्रचार करने के लिए कंपनियों को उपभोक्ताओं की पूर्व अनुमति लेनी होगी, जैसा कि विधेयक ने कहा है। ट्राई सही कीमत निर्धारित करेगा जब मूल्य अधिक होगा। वह भी जांच कर सकेगा।
OTT दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा से बाहर हो जाएगा
नए कानून में ओवर-द-टॉप (ओटीटी) या इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग को दूरसंचार की परिभाषा में शामिल नहीं किया गया है, ताकि उद्योग जगत की चिंताओं का ध्यान रखा जा सके। व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे संचार सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को इससे बहुत फायदा होगा।
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