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Bihar: बदलने वाला है कृषि का रुप, बिहार में शुरु होगा डिजिटल एग्रीकल्चर स्कूल

Bihar: 21वीं सदी में ड्रोन सबसे महत्वपूर्ण है। यह किसी भी खराब वातावरण में काम करता है। यह खेती, सिंचाई, डिलीवरी, सेना, युद्ध सब जगह होता है। इसके साथ ही इसे चलाने वाले चालकों की मांग भी बढ़ी है। पूर्वोत्तर भारत में पहली बार ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में शुरू की गई है। ड्रोन पायलट कोर्स का पहला बैच समाप्त हो गया है। कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने ड्रोन क्षेत्र में कृषि में अनगिनत संभावनाएं बताईं। आने वाले समय में कृषि का रूप बदलने वाला है। इसलिए विश्वविद्यालय डिजिटल कृषि के सभी रूपों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय में जल्द ही डिजिटल एग्रीकल्चर के साथ एक नया स्कूल खोला जाएगा।

रिमोट से करेंगे PM मोदी उद्घाटन

डॉ. पीएस पांडेय ने इस दौरान बताया कि केंद्र सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय में डिजिटल कृषि पर विशेष प्रयोगशालाएं भी बनाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन रिमोट के माध्यम से करेंगे। डॉ. पांडेय ने बताया कि डीजीसीए, भारत सरकार की एकमात्र संस्था, भी ड्रोन पायलट को पायलट लाइसेंस देगा। उनका कहना था कि ड्रोन पायलटों की इतनी मांग है कि ट्रेनिंग पूरी करने वालों को आज से ही नौकरी का आफर मिल गया है। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय देश भर में डिजिटल कृषि में नेतृत्व करना चाहता है। ड्रोन की मरम्मत और मरम्मत के लिए भी जल्द ही प्रशिक्षण शुरू होगा।

कौन-कौन होगा शामिल

अभियंत्रण महाविद्यालय के डीन डा. अम्बरीष कुमार ने कहा कि देश में आने वाले समय में 10 लाख से अधिक ड्रोन पायलट की जरूरत होगी। कुलपति डिजिटल कृषि पर बहुत गंभीर है, और उन्होंने कई फैसले लिए हैं जो देश भर में विश्वविद्यालय को अग्रणी संस्था बना देंगे और कृषि के आधुनिकीकरण में नया इतिहास लिखेंगे।

साथ ही कार्यक्रम में निदेशक प्रसार शिक्षा डा. एम एस कुंडू, निदेशक शिक्षा डा. पीके झा और निदेशक शोध डा. एके सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए। विभिन्न वैज्ञानिकों और शिक्षकों ने कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें निदेशक योजना डा. एस के समीर, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एस के जैन, डा. राम सुरेश वर्मा, पुस्तकालय अध्यक्ष डा. राकेश मणि शर्मा, डा. राम दत्त और डा. कुमार राज्यवर्धन भी शामिल थे।

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