Hate Speech: केंद्रीय मंत्री ने दायर की याचिका, नफरत भरे भाषण के लिए आरोपी हैं मंत्री
Hate Speech: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने हाल ही में कलामासेरी विस्फोटों पर अपने सोशल मीडिया पोस्ट के लिए उनके खिलाफ दायर नफरत भरे भाषण के मामले को रद्द करने के लिए बुधवार को केरल उच्च न्यायालय का रुख किया। चन्द्रशेखर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी कि आरोप निराधार हैं और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं। उनके अनुसार, प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) राजनीतिक विरोधियों के बीच मिलीभगत का परिणाम है। उन्होंने नोटिस में विसंगतियों और कथित उत्पीड़न के बारे में भी चिंता जताई।
Hate Speech: 29 अक्टूबर को विस्फोट
बता दें कि 29 अक्टूबर को एर्नाकुलम के उपनगर कलामासेरी में एक कन्वेंशन सेंटर में हुए विस्फोटों में कम से कम 3 लोग मारे गए और 51 लोग घायल हो गए। जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। ये धमाके यहोवा के साक्षियों की एक सभा के दौरान किए गए थे। धमाकों के कुछ घंटों बाद डोमिनिक मार्टिन नामक व्यक्ति ने हमले को अंजाम देने के लिए पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। विस्फोटों के तुरंत बाद, नेटिज़न्स के एक वर्ग ने अधिकारियों की पुष्टि से पहले ही विभिन्न समुदायों और समूहों पर दोषारोपण करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट डालना शुरू कर दिया था।
पुलिस ने दी थी सख्त चेतावनी
केरल पुलिस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से सांप्रदायिक नफरत भड़काने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। चंद्रशेखर पर सांप्रदायिक विवाद पैदा करने के इरादे से कुछ सोशल मीडिया पोस्ट डालने का आरोप लगाया गया था, यहां तक कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी खुलेआम मंत्री को इसके लिए बुलाया था। तो वहीं 31 अक्टूबर को, एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस स्टेशन ने एर्नाकुलम साइबर सेल के उप-निरीक्षक द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर चंद्रशेखर पर मामला दर्ज किया।
कई धाराओं दर्ज किया मामला
मंत्री के खिलाफ एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153, 153ए और केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 (ओ) के तहत दंडनीय अपराध करने का आरोप लगाया गया है। आईपीसी की धारा 153 “दंगों को भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसावे देने” और धारा 153ए “धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने को लेकर कार्रवाई का प्रावधान।
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