Sound Pollution: मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका खारिज
Sound Pollution: गुजरात हाई कोर्ट ने मंगलवार को मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने ये इनकार कर दिया। दरअसल, कोर्ट में ऐसे लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी। जिसे कोर्ट ने ये कहते हुए खारिज कर दिया कि दिन में पांच बार अज़ान के लिए मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल से ध्वनि प्रदूषण नहीं होता है। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने कहा कि जनहित याचिका पूरी तरह से गलत है।
Sound Pollution: डॉक्टर धर्मेंद्र ने दायर की जनहित याचिका
पेशे से डॉक्टर होने का दावा करने वाले धर्मेंद्र प्रजापति ने जनहित याचिका के माध्यम से तर्क दिया कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से अशांति और ध्वनि प्रदूषण होता है। हालांकि, पीठ ने यह जानना चाहा कि याचिकाकर्ता ने किस आधार पर दावा किया कि ध्वनि प्रदूषण होता है। साथ ही कोर्ट ने पुछा, “आप ऐसा संगीत बजाते हैं जिससे व्यवधान नहीं होता?” मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया, जिस पर याचिकाकर्ता के वकील डीजी शुक्ला ने जवाब दिया कि संगीत घर में बजाया जाता है, मस्जिद जैसे सार्वजनिक स्थान पर नहीं।
गलत धारणा वाली है जनहित याचिका
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम घरों में बजने वाले संगीत के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। आप मंदिर में भजन या आरती के लिए भी तेज संगीत बजाते हैं। इससे अशांति नहीं होती? तो अजान कैसे अशांति पैदा कर सकती है? जबकि यह कुछ मिनटों के लिए है।” मुख्य न्यायाधीश ने आदेश में कहा, “यह पूरी तरह से गलत धारणा वाली जनहित याचिका है। हम यह समझने में असफल हैं कि लाउडस्पीकर के माध्यम से अजान देने वाली Human Voice ध्वनि प्रदूषण की सीमा तक डेसीबल कैसे प्राप्त कर सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर जनता के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।”
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