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NGO की विदेशी फंडीग पर सरकार की पैनी नजर, नियमों में करे ये बदलाव

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत रजिस्टर्ड गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को विदेशों से भारी फंडिंग मिल रही है। इसके परिणामस्वरूप सरकार ने FCRA के तहत रजिस्टर्ड NGO के लिए नियमों में बदलाव किया है, जिसके अनुसार अब ये संगठन विदेशी धन का विवरण और अचल संपत्तियों की घोषणा करना होगा। इसके बाद, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत (31 मार्च) तक NGO को संपत्ति की घोषणा करनी होगी।

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इन संशोधनों के बाद, विदेशी धन प्राप्त करने वाले सभी NGO को FCRA के तहत रजिस्टर्ड होना होगा और उन्हें अपना वार्षिक लेखा-जोखा दाखिल करना होगा। गृह मंत्रालय ने उन संगठनों के FCRA लाइसेंस की वैधता को भी बढ़ाने का फैसला किया है, जिनके लाइसेंस 30 सितंबर को समाप्त हो रहे हैं या फिर उनका नवीनीकरण लंबित है।

सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन सालों में एनजीओ को 55,449 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली है। इसका लक्ष्य यह है कि विदेशी फंडिंग के नियमों का सख्त पालन किया जाए और गैर-सरकारी संगठनों को विदेशी धन का सही इस्तेमाल करने के लिए जवाबदेह बनाया जाए।

एनजीओ को तीन साल में 55 हजार करोड़ रुपये मिले

गृह मंत्रालय ने 2019 और 2022 के बीच एफसीआरए के तहत रजिस्टर्ड या पूर्व अनुमति प्राप्त 335 एनजीओ और एसोसिएशन का ऑडिट किया. मंत्रालय ये देखना चाह रहा था कि क्या इनके जरिए विदेशी फंडिंग के नियमों का पालन किया जा रहा है। सरकार ने विदेशी धन हासिल करने और इस्तेमाल करने के लिए गैर सरकारी संगठनों को जवाबदेह बनाकर एफसीआरए नियमों को सख्त कर दिया है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के जरिए मालूम होता है कि एनजीओ को पिछले तीन सालों में 55,449 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली है।

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