Advertisement

क्या झुक गए जेलेंस्की? डोनेट्स्क और लुहांस्क पर बातचीत को तैयार

जेलेंस्की और पुतिन
Share
Advertisement

Russia Ukraine War: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की अब नाटो की सदस्यता (NATO Membership) नहीं लेगा। वे यूक्रेन के दो अलग-अलग रूसी समर्थक क्षेत्रों (डोनेट्स्क और लुहांस्क) की स्थिति पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं।

Advertisement

बता दें कि रूसी राष्ट्रपति ने डोनेट्स्क और लुहांस्क को युद्ध शुरू होने से पहले 24 फरवरी को आजाद घोषित कर दिया था और उसे मान्यता भी दी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की जिद और डोनेट्स्क और लुहांस्क के मुद्दे ही युद्ध की मुख्य वजह है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेलेंस्की ने कहा कि नाटो यूक्रेन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। नाटो विवादास्पद चीजों और रूस के साथ टकराव से डरता है। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे देश का राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते, जो घुटनों के बल कुछ मांग रहा हो।

रूस नाटो को खतरा मानता है

बता दें कि रूस नाटो को खुद के लिए बड़ा खतरा मानता है। रूस ने कहा कि वह नहीं चाहता कि पड़ोसी यूक्रेन नाटो का सदस्य बने। रूस नाटो के विस्तार को एक खतरे के रूप में देखता है। रूस अपने दरवाजे पर नए पश्चिमी सहयोगियों को नहीं चाहता है।

क्या है नाटो?

सोवियत संघ ने 1948 में बर्लिन पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद यूरोपीय देशों में सुरक्षा का डर फैल गया और अमेरिका के नेतृत्व में नाटो का गठन किया गया। नाटो में वर्तमान में 30 देश शामिल हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है।

नाटो एक सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर कार्य करता है। नाटो के किसी सदस्य देश पर हमला सभी नाटो देशों पर हमले के रूप में देखा जाता है। इसका मकसद राजनीतिक और सैन्य तरीकों से अपने सदस्य देशों की स्वतंत्रता और सुरक्षा बनाए रखना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अन्य खबरें