‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर अखिलेश का तंज… ‘BJP जब बीच में किसी राज्य की चयनित सरकार गिरवाएगी तो…’
Akhilesh on one nation one election : बुधवार को देश में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. इससे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है. वहीं 100 दिन के भीतर निकाय चुनाव कराने की बात है. यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस पर बात की थी और कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में इसे लागू करेगी. वहीं पीएम मोदी ने भी इसके पक्ष में बयान देते हुए कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा हैं. अब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर कई सवाल उठाए हैं.
‘हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?’
उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया कि लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते। अगर ‘वन नेशन, वन नेशन’ सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?
‘ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर?’
उन्होंने सवाल दागा कि भाजपा जब बीच में किसी राज्य की चयनित सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे? किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतज़ार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा? इसको लागू करने के लिए जो संवैधानिक संशोधन करने होंगे उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गई है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है?
‘चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की योजना तो नहीं’
अखिलेश ने ट्वीट किया कि कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य ज़रूरी संसाधन ही नहीं हैं, इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं। जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर ज़िले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे।
‘आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा’
वहीं उन्होंने लिखा कि चलते-चलते जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहां तो ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है। कहीं कमज़ोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन्स, टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है।
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