
भारतीय तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी 25 नवंबर को अपना 41वां जन्मदिन मना रही हैं। पूर्व भारतीय कप्तान ने 2002 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और अभी भी भारतीय महिला क्रिकेट टीम का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन से टीम को कई बार जीत दिलाई और भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज बनीं।
उनका अगला लक्ष्य अगले साल की शुरुआत में महिला विश्व कप जीतना है। हालाँकि, झूलन को यह सफलता आसानी से नहीं मिली, उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए हर दिन 80 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। आज उनके जन्मदिन पर आइए आपको बताते हैं झूलन गोस्वामी के संघर्ष की कहानी.
झूलन गोस्वामी के संघर्ष की कहानी
झूलन गोस्वामी का जन्म 25 नवंबर 1983 को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के चकदाहा नामक गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम झूलन निशित गोस्वामी है। झूलन को प्यार से बाबुल कहा जाता है। उनके पिता का नाम निशित गोस्वामी और माता का नाम झरना गोस्वामी है। ज़ुलान को बचपन से ही खेलों में बहुत रुचि थी। शुरुआत में उन्हें फुटबॉल खेलने का शौक था, लेकिन जब उन्होंने कोलकाता के ईडन गार्डन्स में ब्लांडा क्लार्क को क्रिकेट खेलते देखा तो उन्होंने क्रिकेटर बनने का सपना देखा।
भारत में महिला क्रिकेट का बड़ा चेहरा
झूलन चकदा से रोजाना सुबह 4.30 बजे उठकर 80 किमी का सफर लोकल ट्रेन से कोलकाता जातीं वहीं प्रैक्टिस करतीं और फिर घर लौटतीं. लगातार मेहनत के बाद साल 2022 में उन्हें वनडे डेब्यू का मौका मिला. इसके बाद अगले 20 सालों तक वह टीम इंडिया की जान बनी रही और भारत में महिला क्रिकेट का बड़ा चेहरा बन गई.
झूलन गोस्वामी के अंतरराष्ट्रीय करियर
झूलन गोस्वामी के अंतरराष्ट्रीय करियर की बात करें तो उन्होंने टेस्ट में 12 मैचों में 44 विकेट हासिल किए हैं. जबकि वनडे में उन्होंने 204 मैचों में 255 विकेट अपने नाम किए. इसके अलावा टी20 में भी उन्होंने 68 मैचों में 56 विकेट अपने खाते में डाले. एक टेस्ट मुकाबले में 10 विकेट लेने वाली वह सबसे युवा खिलाड़ी बनी थीं.
झूलन के जीवन पर आधारित फिल्म बनाई जा रही
मिताली राज के बाद झूलन गोस्वामी पहली महिला क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिनके जीवन पर आधारित फिल्म बनाई जा रही है. इस बायोपिक की शूटिंग शुरू हो चुकी है. फिल्म में झूलन का किरदार अनुष्का शर्मा झूलन गोस्वामी का किरदार निभा रही हैं.