बस थोड़ा समय और… उत्तरकाशी के सुरंग में फंसे श्रमिक आएंगे बाहर, तैयार हैं 41 एंबुलेंस, हेलीकॉप्टर

Uttarkashi Tunnel Accident
आज दूसरे दिन है कि उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे कामगारों को बचाने के लिए राहत और बचाव कार्य जारी है।देर रात ड्रिलिंग के दौरान, मशीन के सामने लोहे की सलाखों ने रास्ता रोका, जिसे काटने की कोशिश की गई, इसके लिए गैस कटर भी लगाया गया। बाद में ऑगर मशीन की बिट खराब हो गई।
ऑगर मशीन के बिट को ठीक करने के लिए हेलिकॉफ्टर से उपकरण लाया गया था। ऐसे में, एम्बुलेंस भी तैयार रखी गई हैं क्योंकि बचाव प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में है।एनडीआरएफ की टीम भी वहाँ है। NDF रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बेरिंग और पहिया वाले स्ट्रेचर तैयार कर रही है. इससे कर्मचारियों को लंबी पाइप में क्रॉल नहीं करना पड़ेगा, बल्कि पहिए वाले स्ट्रेचर से खींचकर निकलना पड़ा।
40 एंबुलेंस हुई तैनात
Silkwara tunnel site पर सभी चिकित्सा सहायता उपकरण उपलब्ध हैं: “ऑक्सीजन सिलेंडर, मास्क, स्ट्रेचर से लेकर बीपी उपकरण तक।”NDF के बचाव कर्मी गैस मास्क और स्ट्रेचर पहने हुए हैं। हाथों में कटर सहित अनेक उपकरण हैं। NDF कर्मी पहले पाइप में से निकलकर कर्मचारियों की ओर जाएंगे जैसे ही मलबा पार होगा। 12 एंबुलेंस यहां स्टेडबाई पर हैं। “सभी व्यवस्थाएं की गई हैं,” एम्बुलेंस कर्मचारी हरीश प्रसाद ने बताया। देहरादून, हरिद्वार और टिहरी से हमारी 40 एंबुलेंस यहां तैनात रहेंगी। सुरंग के बाहर 15 डॉक्टरों की एक टीम, चेस्ट स्पेशलिस्ट सहित तैनात है।”
NDF ने विशेष पहिये वाले स्ट्रेचर किए तैयार
NDF टीम पहले से ही स्थान पर है और बचाव और राहत कार्यों में लगी हुई है। NDF के जवान ही सुरंग में फंसे 41 कर्मचारियों को बाहर निकालेंगे जैसे ही पाइप टनल के अंदर पहुंच जाएगा।यहां तक कि टनल के बाहर प्राथमिक उपचार की तैयारी भी तेज हो गई है। आठ बेड टनल के बाहर अस्थायी अस्पताल में लगाए गए हैं।
मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम एक विशेष पहिये वाले स्ट्रेचर (जिसमें पहिए और बेरिंग लगे हुए हैं) लेकर गई है। अपनी शारीरिक स्थिति के कारण कर्मचारी 60 मीटर चलने में असमर्थ होंगे। इसलिए ये कार्रवाई की गई है। टीम भी सुरंग में एक विशेष ऑक्सीजन पैक मास्क ले गई है।
अस्पताल में 41 बेड तैयार
सुंरग से बाहर निकालने के बाद कर्मचारियों को एंबुलेंस से सीधे चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा जांच और देखभाल के लिए ले जाया जाएगा। चिनियालीसवाड़ में 41 बेड का विशेष वार्ड बनाया गया है। यहां डॉक्टरों की एक टीम है जो कर्मचारियों को जांच करेगी और जरूरत पड़ी तो उन्हें अतिरिक्त उपचार के लिए दूसरी जगह भेजा जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि ऋषिकेश एम्स और जिले के सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है।
तैयार है हेलीकॉप्टर
चिन्यालीसौड़ में कामगारों के लिए विशेष अस्पताल बनाने के लिए हेलीकॉप्टर भी तैनात किए जाएंगे। सुरंग में फंसे 41 कर्मचारियों में से किसी को स्वास्थ्य कारणों से एयरलिफ्ट करने की जरूरत होगी तो उन्हें दूसरे अस्पताल में ले जाया जाएगा।
आपको बता दें कि मंगलवार तड़के फंसे हुए कर्मचारियों की पहली तस्वीर और वीडियो छह इंच की नई पाइपलाइन के माध्यम से भेजी गई थी। एक अलग पाइप से रोटी, सब्जी, खिचड़ी, दलिया, संतरे और केले की पर्याप्त आपूर्ति की जाती है।
सुरंग में बचाव कार्य को पूरा करने में लोहे का स्ट्रक्चर बाधा बन गया। इसलिए अभियान में देरी हुई। एनडीआरएफ ने इस लोहे की संरचना को काटकर निकालने के लिए गैस कटर का उपयोग किया।
12 नवंबर दिवाली पर हुआ था हादसा
आपको बता दें कि सिलक्यारा सुरंग केंद्र उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है और सरकार की बड़ी चारधाम “ऑल वेदर सड़क” परियोजना का एक हिस्सा है। 4.5 किलोमीटर लंबी यह सुरंग ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनाई जा रही है। 12 नवंबर को एक हिस्सा सुरंग ढह गया। मजदूर इससे सुरंग के अंदर ही फंस गए। 12 दिन से बचाव अभियान जारी है।