Bihar: इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में कराया नाम दर्ज, शक्स ने बताई संघर्ष और सफलता की कहानी

Bihar: अमरीश तिवारी बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के मझियाव गांव में रहते हैं. उन्होंने दो बार इंडिया बुक का रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया गया है। अमरीश एक मध्यमवर्गीय परिवार से है और चौथी कक्षा से ही चित्र बना रहे हैं। जब सपनों को पंख लगा तो जिला ही नहीं बल्कि बिहार के कई जिलों में अपने नाम का परचम लहरा चुके है। अमरीश ने कैमूर के कई पर्यटन स्थलों पर कलाकृतियां बनाई हैं।
कैमूर के कला से डीएम भी हुए प्रभावित
अमरीश ने बताया कि भारत दो बार विश्व रिकॉर्ड बुक में दर्ज हुआ है। 26 जनवरी को नाम इंडिया बुक का रिकॉर्ड में पहली बार दर्ज किया गया था, जब धान की भूसी से 900 वर्ग फीट का तिरंगा बनाया गया था। कैमूर धान का कटोरा कहलाता है क्योंकि यह धान की भूसी से बना था। दूसरी बार इको फ्रेंडली राखी बनाया था और यह भी इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। 15 अगस्त को गांधी जी का चित्र भी धान की भूसी से बनाया गया था। इससे कैमूर के डीएम भी प्रभावित हुए। मरीश ने सुविधाओं का अभाव बताया। जिला प्रशासन का ध्यान कला के क्षेत्र में बहुत कुछ कर सकता है।
कैसा रहा संघर्ष
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से कलाकारों ने भाग लिया। इसके अलावा, दो बार राज्यस्तरीय प्रदर्शनी भी हुई है। पेंटिंग की दुनिया में पहली बार आने पर मुझे कोई सहयोग नहीं मिला। परिवार से भी मदद नहीं मिली। जब वह सफल हो गया, हर कोई उसे समर्थन देने लगा। भी विदेशों में काम करना चाहते हैं। इस बार भी दीपावली में कुछ खास लेकर आ रहे हैं, जो लोगों को आकर्षित करेंगे।
अभी इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है जल्द ही बहुत जल्द गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज। इसके लिए प्रयत्न करें। लोगों को बताना चाहिए कि पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ कला क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं। इसलिए बच्चों को भी मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है ताकि वे इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। जिले में सात दिवसीय प्रदर्शनी तीन बार हुई है।