बंद हुए डेढ़ लाख जनधन खाते, दो साल से नहीं हुआ कोई लेनदेन

आरबीआई ने जिले के डेढ़ लाख जनधन खातों को निष्क्रिय घोषित कर दिया है। इन खातों से दो साल तक कोई लेनदेन नहीं हुआ। इन खातों को सक्रिय करने के लिए उपभोक्ताओं को केवाईसी सत्यापन पूरा करना होगा। वहीं, जिले में बैंक खातों की संख्या भी बढ़ी।
जिले में 8 लाख जनधन खाते हैं। 1.5 लाख खाते इसमे से निष्क्रिय हो गए हैं, उनके लिए अधिकारियों ने खाताधारकों को ईमेल और पंजीकृत नंबर के माध्यम से सूचनाएं भेजने को कहा है। वरिष्ठ बैंक अधिकारियों के मुताबिक लेनदेन न होने के कारण इन खातों की सूची आरबीआई को भेज दी गई है। बाद में ये खाते निष्क्रिय कर दिए गए। क्षेत्र में 35 बैंकों की 570 शाखाओं में 14 लाख खाते खुले हैं। इनमें से 12 लाख खाते सक्रिय हैं और बाकी खातों को बैंक ने निष्क्रिय घोषित कर दिया है।
गौरतलब है कि सरकार लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने पर फोकस कर रही है, हालांकि ऐसे भी लोग हैं जो खाता खुलवाना और लेनदेन करना भूल गए हैं। ऐसे में सरकार की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि अगले तीन महीनों 20 लाख खाताधारकों को नोटिस भेजे जाएंगे। यदि खाता लगातार दस वर्षों तक निष्क्रिय रहता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को एक रिपोर्ट भेजी जाएगी। अगर कोई व्यक्ति इसके बाद भी दावा दायर करता है, तो खाता आरबीआई की मंजूरी के साथ खोला जाएगा।
लीड बैंक मैनेजर विदुर भल्ला ने बताया कि खाते से लेनदेन का भुगतान न होने से बैंक को भी भारी घाटा हो रहा है। ऐसे में बैंक की विश्वसनीयता खाते और उस पर मौजूद रकम के आधार पर तय होती है। उसी आधार पर बैंक द्वारा लोन प्रदान किया जाता है। यदि किसी बैंक में अधिक निष्क्रिय खाते हैं, तो उस बैंक का प्रबंधन उससे प्रतिक्रिया मांगता है।
अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र
ग्रामीण क्षेत्रों में निष्क्रिय खातों की संख्या एक लाख है। बैंक प्रतिनिधियों के मुताबिक, लोग यहां खाते तो खुलवाते हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं करते। जागरूकता की कमी भी एक अहम कारण है।
जिले में डेढ़ लाख बढ़े खाते
वरिष्ठ बैंक प्रबंधक विदुर भल्ला ने बताया कि जिले में बैंक अधिक से अधिक खाते खोलने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं। इस साल डेढ़ लाख नये खाते खोले गये। इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिले में खातों की संख्या बढ़कर 14 लाख हो गयी है, पहले यह 12.50 लाख थी।