
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद पर अपना आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार, कर्नाटक को 284.74 टीएमसी और तमिलनाडु को 404.25 टीएमसी पानी का हिस्सा देना था।
कावेरी नदी के जल के वितरण का मुद्दा फिर से उभरा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु को प्रतिदिन 5,000 क्यूसेक पानी देने का फैसला किया, जिसके खिलाफ कई किसान, संगठन, और पार्टियां विरोध कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, बेंगलुरु में 26 सितंबर को बंद का आलांब किया गया है, और फिर 29 सितंबर के लिए और एक बंद का ऐलान किया गया है।
कर्नाटक को तमिलनाडु के बाद अधिक पानी देने का आदेश
कई संगठनों और किसानों का कहना है कि मानसून के समापन के बाद खेती के लिए पानी की आवश्यकता है और इस समय तमिलनाडु को पानी छोड़ने का फैसला गलत है। इस विवाद के चलते बांगलुरु में बंद को समर्थन दिया गया है, जिसमें विपक्षी दलों भी शामिल हैं।
कावेरी जल विवाद एक पुराना विवाद है जो 140 साल से अधिक समय से चल रहा है। इसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, और पुडुचेरी शामिल हैं, और नदी के जल के वितरण का मुद्दा है। विवाद के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इस पर विवाद बरकरार है।
2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, कावेरी जल विवाद ने फिर से उभरा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, कर्नाटक को तमिलनाडु के बाद अधिक पानी देने का आदेश था, लेकिन इसके बावजूद विवाद जारी है।
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