चंद्रयान 3 के कैमरा डिज़ाइनर का छोटे से गांव से निकलकर का ISRO तक का सफ़र

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चंद्रायन 3 के सफल लॉन्च के बाद पूरा देश खुशी से झूम उठा.. लेकिन पश्चिम बंगाल के एक छोटे से कस्बे इस्लामपुर के एक घर में तो लोगों की खुशी का ठिकाना ही नहीं था, हम बात कर रहे हैं ISRO वैज्ञानिक अनुज नंदी के घरवालों की।

14 जुलाई 2023 को उनका पूरा परिवार सुबह से ही टेलीविजन सेट के सामने जमकर बैठ गया, बेटे की मेहनत को आज पंख जो लगने वाले थे। मां, भाई-बहन, भाभी, भतीजा-भतीजी, पड़ोसी.. सभी अपने कस्बे से निकलकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तक पहुंच चुके साधारण से लड़के की असाधारण उपलब्धियों के साक्षी बनना चाहते थे।

चंद्रयान 3 का कैमरा डिज़ाइन करने वाले ISRO साइंटिस्ट अनुज नंदी की 70 वर्षीय माता लॉन्च के दिन से बस यही दुआ कर रही हैं कि उनके बेटे का बनाया उपकरण अंतरिक्ष में भी बखूबी काम करे और भारत के सबसे बड़े स्पेस मिशन को कामयाबी दिलाए।

खुशी और अभिमान से फूले नहीं समा रहीं भाभी रिंकू नंदी कहती हैं, “हमने टीवी पर पूरा इवेंट देखा। हम इस बात से बहुत ज़्यादा खुश और प्राउड हैं कि हमारे परिवार का एक सदस्य चंद्रयान की टीम का हिस्सा बना और इतने बड़े मिशन में अपना योगदान दे रहा है।”

इस्लामपुर आश्रमपारा जैसे एक छोटे से कस्बे से निकलकर इतनी बड़ी सफलता पाना वाकई कोई आसान बात नहीं है। लेकिन यह सफलता भी रातों-रात अनुज को नहीं मिली है, इसके पीछे उनका सालों का प्रयास और संघर्ष हैं। अपने क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल और फिर इस्लामपुर हाई स्कूल से पढ़कर अनुज नंदी ने बेसिक पढ़ाई पूरी की।

फिर उन्होंने डिस्ट्रिक हेडक्वार्टर रायगंज कॉलेज से ग्रेजुएशन और कोलकाता की जादवपर यूनिवर्सिटी से मास्टर्स पूरा किया। इसके बाद कुछ वक्त तक वह कोलकाता में काम करने के बाद बंगलुरु चले गए और वहां उन्हें इसरो का हिस्सा बनने का मौका मिला। आज केवल परिवार ही नहीं, पूरे देश को इस प्रतिभावान साइंटिस्ट पर गर्व है। अनुज नंदी युवा पीढ़ी की प्रेरणा बने हैं।