UP:  आर्थिक अपराध शाखा करेगी 6 हजार करोड़ रूपए के धोखाधड़ी की जाँच

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अब आर्थिक अपराध शाखा 6 हजार करोड़ रूपए के धोखाधड़ी की जाँच करेगी। दरअसल, शिप्रा समूह द्वारा थाना इंदिरापुरम में इंडिया बुल्स और एम 3एम कंपनी के 18 लोगो पर जो 6000 करोड़ समपत्ति हड़पने को लेकर जो एफ आई आर जो इंदिरापुरम थाने में दर्ज करवाई गई थी। उसकी जाँच अब आर्थिक अपराध शाखा करेगी। क्योकि यह पूरा मामला काफी बड़ा हैं।

इसलिए डी सी पी ट्रांस हिंडन ने इसकी जांच करने के लिए आर्थिक अपराध शाखा को पत्र लिखा हैं। आपको बता दे की शिप्रा समूह ने छह हजार करोड़ की बंधक संपत्ति को फर्जीवाड़ा कर हड़पने और अधिकारियों से मारपीट व अभद्रता करने का आरोप लगाया था। कोर्ट के आदेश पर लोन के नाम पर करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े में इंडियाबुल्स समेत तीन नामी कंपनियों के 18 लोगों पर इंदिरापुरम थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

शिप्रा समूह के अमित वालिया ने बताया कि वर्ष 2017 में चार आवासीय योजना और व्यावसायिक योजना के लिए लोन की जरूरत थी। इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस कंपनी ने समूह के अधिकारियों से संपर्क किया। इंडियाबुल्स ने शिप्रा समूह को 1,939 करोड़ रुपये का लोन बाजार भाव से कम ब्याज दर पर देने का वादा किया। लोन देने के लिए समूह की छह संपत्तियों को बंधक रखा गया। जिनका बाजार भाव समूह ने छह हजार करोड़ रुपये बताया है।

आरोप है कि समूह को 1,939 के बजाय 1,256 करोड़ रुपये ही लोन दिए गए। बाकी धनराशि नहीं दी गई। बाद में फर्जीवाड़ा कर समूह को कर्जदारों का डिफाल्टर दिखाकर संपत्ति हड़पने की कोशिश की गई। विरोध करने पर अधिकारियों से मारपीट की गई और धमकी दी गई थी। इस संबंध में शिप्रा ग्रुप की तरफ से गत 23 मार्च को इंदिरापुरम पुलिस से शिकायत की गई थी। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

कोर्ट के आदेश पर इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के पूर्व चेयरमैन समीर गहलोत, प्रबंध निदेशक गगन वांगा, अश्वनी ओमप्रकाश हुड्डा, कि राजीव गांधी, जितेश मौर, राकेश कर भगत, आशीष जैन, साकेत बहुगुणा, उएम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ष निदेशक रूप कुमार बंसल, फाउंडर चेयरमैन वसंत बंसल, पंकज बंसल, विवेक सिंघल, अनीता ठाकुर, सौरभ सुनील जैन, डायरेक्टर मनोज, रविंद्र सिंह, अजय शर्मा और एडलवाइज – एसेट रिकंस्ट्रक्शन मुंबई के राजेश चंद्रकांत शाह के खिलाफ इंदिरापुरम थाने में धोखाधड़ी, मारपीट, धमकी देने और षडयंत्र रचने की धारा में रिपोर्ट दर्ज की गई है। बंधक संपत्ति में शिप्रा माल भी शामिल है। जिसकी वर्तमान कीमत करीब दो हजार करोड़ रुपये है। आरोप है कि शिप्रा समूह को डिफाल्टर दिखाकर बंधक संपत्तियों को कब्जाया जा  रहा है। बाजार भाव से भी कम कीमत पर संपत्तियों को बेचने की तैयारी है।

रिपोर्टर- विकास शर्मा

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