Uttarakhand

Uttarakhand: ड्रोन से दवा भेजने का किया गया सफल ट्रायल

प्रदेश के दूर दराज के अस्पतालों में अब काफी कम समय में जीवनरक्षक दवाएं पहुंचाई जा सकेंगी। एम्स ऋषिकेश से ड्रोन से दवा भेजने का ट्रायल किया गया जो पूरी तरह सफल रहा है। ड्रोन के जरिए ऋषिकेश से आधे घंटे में टिहरी जिला अस्पताल में टीबी की दवा पहुंचाई गई। इसके साथ एम्स ऋषिकेष ड्रोन से दवा भेजने का ट्रायल करने वाला देश का पहला एम्स बन गया।

एम्स ऋषिकेश में ड्रोन से दवा भेजने का ट्रायल किया गया जो पूरी तरह सफल रहा रहा। ड्रोन के जरिए एम्स ऋषिकेश से टिहरी जिला अस्पताल में टीबी के मरीजों के लिए दवा भेजी गई। लगभग आधे घंटे में ड्रोन टिहरी अस्पताल में दवा लेकर पहुंचा। ऋषिकेश से सड़क मार्ग से टिहरी जाने में लगभग ढाई घंटे का समय लगता है। लेकिन ड्रोन के जरिए ये दूरी केवल आधे घंटे में ही तय की गई।

इसी के साथ एम्स ऋषिकेश ड्रोन से दवा भेजने का ट्रायल करने वाला देश का पहला एम्स बना। ड्रोन निर्माता कंपनी के अधिकारियों ने बताया ये ड्रोन 3.5 किलोग्राम भार उठा सकता है और एक बार में 100 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। ड्रोन में पूरी तरह ऑटोमैटिक संचालन की व्यवस्था है। इसमें केवल रूट मैप फीड करने की जरूरत होती है। इसके अलावा पक्षियों से बचाव के लिए ड्रोन में सेंसर लगाए गए है।

टिहरी के जिला अस्पताल में ड्रोन से दवा के ट्रायल को लेकर अस्पताल के कर्मियों में भी उत्साह नजर आया। जिला अस्पताल में एम्स से भेजी गई दवाईयों को पहले उतारा गया। इसके बाद अस्पताल से भी कुछ सैंपल्स ड्रोन के जरिए एम्स वापस भेजे गए।अस्पताल के कर्मियों ने इस व्यवस्था को दूर दराज के अस्पतालों और गंभीर मरीजों के लिहाज से काफी सुविधाजनक बताया।

ड्रोन से दवा भेजने के सफल ट्रायल को प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से ऐतिहासिक कहा जा सकता है। क्योंकि प्रदेश के दूर दराज के पर्वतीय इलाकों में कई बार दवाएं उपलब्ध नहीं होने से मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। ऐसे में ड्रोन के जरिए कुछ ही समय में जरूरी दवाईयां और सैंपल्स को दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचाया जा सकेगा और मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।

ये भी पढ़ें:Uttarakhand: पंतनगर यूनिवर्सिटी का 34 वां दीक्षांत समारोह हुआ आयोजित

Related Articles

Back to top button