
हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है। जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है तो उसे कन्या संक्रांति कहते है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को ही मनाते हैं। विश्वकर्मा पूजा के दिन यंत्रों और देवताओं के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना के समय भगवान ब्रह्मा की मदद की थी। इसलिए इस दिन को वास्तु दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
भगवान विश्वकर्मा से जुड़े रोचक तथ्य
1.विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा देवताओं के काष्ठशिल्पी माने जाते हैं। पुराण में उनके लिए वर्धकी यानि काष्ठशिल्पी शब्द का उपयोग हुआ है।
2.वास्तुदेव का विवाह अंगिरसी नामक कन्या से हुआ था, उन दोनों से ही भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ। वास्तुदेव ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म के बेटे हैं।
3.बह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा को सष्टि का शिल्पीकार नियुक्त किया था। उन्होंने स्वर्ग लोक, इंद्रपुरी, द्वारिका नगरी, सोने की लंका, सुदामापुरी जैसे कई नगर और स्थानों का निर्माण किया।
4. भगवान विश्वकर्मा ने यमराज का कालदंड, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, पुष्पक विमान समेत कई अस्त्र-शस्त्र और उपकरणों का निर्माण किया।
5. भगवान विश्वकर्मा को यंत्र, औजार, उपकरणों का भी देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस सृष्टि में निर्मित होने वाली सभी वस्तुओं के मूल में भगवान विश्वकर्मा होते हैं।
6.यह भी कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने सबसे पहले इस सृष्टि का मानचित्र बनाया था।
7. विश्वकर्मा जी के पांच अवतार हैं। उनमें विराट विश्वकर्मा, धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरावंशी विश्वकर्मा, सुधन्वा विश्वकर्मा और भृगुवंशी विश्वकर्मा हैं।
8. भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्र मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ हैं। इनके अलावा तीन पुत्रों जय, विजय और सिद्धार्थ का भी वर्णन मिलता है। ये सभी शिल्पीशास्त्र और वास्तुशास्त्र के विद्वान थे।