Ayodhya: गर्भगृह में कब विराजेंगे रामलला, जानिए क्यों बनाई गई 6 अस्थाई कार्यशाला ?

अयोध्या
अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण का कार्य तेज कर दिया गया है. रामलला का भव्य मंदिर तेजी से आकार लेना लगा है. मंदिर निर्माण कार्य में प्लिंथ का काम लगभग पूरा हो चुका है. इसके बाद गर्भगृह का चबूतरा बनाया जाएगा और बाद में फर्श का काम शुरू हो जाएगा. जिसके बाद गर्भगृह में रामलला विराजेंगे.
अयोध्या पहुंच रही पत्थरों की खेप
मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान में तराशे गए पत्थरों की खेप अयोध्या पहुंचना शुरू हो गई है. जिसके बाद से काम में तेजी लाई जा रही है. इसके अलावा तेजी से इन पत्थरों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाली तांबे की पट्टियां भी निर्माण स्थल पर आ गई हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि अब जल्द ही गर्भगृह का निर्माण कार्य तेजी से पूरा हो जाएगा.
तय सीमा पर गर्भगृह में विराजेंगे रामलला
मंदिर को लेकर मंदिर के ट्रस्टी का कहना है कि हम तय समय सीमा में रामलला को भव्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर देंगे. इसके लिए निर्माण कार्य भी तेजी से हो रहा है. निर्माण में काम आने वाली सभी जरूर चीजें भी अयोध्या पहुंच गई है. जिससे रामलला का भव्य मंदिर तेजी से आकार लेने लगा है.
आपको बता दे कि, सुप्रीम कोर्ट SC से फैसला आने के बाद श्री राम मंदिर की ऊंचाई और भव्यता बढ़ाने की मांग शुरू हुई थी. इसके बाद श्री राम मंदिर के मॉडल में परिवर्तन करते हुए कुछ अन्य बदलाव भी किए गए थे. जिसके बाद से मंदिर में लगने वाले पत्थरों की संख्या बढ़ाई गई थी.
6 अस्थाई कार्यशाला बनाई गई
लिहाजा मंदिर में लगने वाले पत्थरों की तादाद भी बढ़ गई. इसकी आपूर्ति के लिए बंसी पहाड़पुर और पिंडवाड़ा में लगभग 6 नई अस्थाई कार्यशाला बनाई गईं. यहीं पर पत्थरों का तराशा जा रहा है. बता दे कि अब तक तराशे गए पत्थरों के 4 ट्रक भरकर राम जन्म भूमि परिसर पहुंच गए हैं. जानकारी के लिए बता दे कि इन पत्थरों को सीमेंट से नहीं जोड़ा जाएगा, बल्कि इन पत्थरों को खांचे में बैठाया जाएगा. खांचों को मजबूती देने के लिए तांबे की पत्तियों से जोड़ा जाएगा.
श्री राम मंदिर को लेकर ट्रस्टी अनिल मिश्र का कहना है कि हम तय सीमा पर ही गर्भगृह में रामलला को स्थापित कर देंगे. इसके बाद जो भी काम बचेगा वह चलता रहेगा. तराशे गए पत्थरों को मंदिर निर्माण परिसर पर पहुंचाया जा रहा है. पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों को राम जन्मभूमि परिसर में पहुंचाया जा रहा है.