मंहगाई: रसोई गैस के दाम फिर बढ़े, जाने किस राज्य में कितने चढ़े ?

LPG Price Hike
नई दिल्ली: घरेलु उत्पादों के निरंतर बढ़ते दामों के बीच आम जनता को मंहगाई का एक और झटका लगा है। पेट्रोल डीजल के दाम पहले से ही बढ़े हुए हैं, और अब सरकारी तेल कंपनियों ने घरेलु रसोई गैस के दाम भी बढ़ा दिए है। देश के प्रत्येक राज्य में कर (tax) अलग-अलग होता है और उसी के अनुसार वहाँ के एलपीजी गैस के दाम तय किये जाते हैं। अर्थात हर राज्य के एलपीजी दामों में अंतर होता है।
इस बार 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी रसोई गैस सिलिंडर में 25 रूपये और 19 कि.ग्रा. वाले कमर्शियल गैस सिलिंडर के दाम में 75 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है।
हर राज्य में गैस कीमतें अलग-अलग
दिल्ली में 14.2 किलोग्राम वाले गैर-सब्सिडी एलपीजी गैस सिलिंडर का दाम 884.5 रूपये हो गया है जो कि अभी तक 859.50 था। कोलकाता में 886 से बढ़कर 911, मुंबई में 859.50 से बढ़कर 884.5, चेन्नई में 875.50 से बढ़कर 900.5 रूपये का हो गया है।
वहीं दिल्ली में 19 किलो वाले कमर्शियल सिलिंडर का दाम बढ़कर 1,693 रुपये हो गया, कोलकाता में 1,772, मुंबई में 1,649 और चेन्नई में 1,831 हो गया है।
इसके अलावा इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड ने भी सीएनजी और पीएनजी के दाम बढ़ा दिए हैं। दिल्ली में सीएनजी की कीमत 45.20 रूपये प्रति किलोग्राम, जबकि पीएनजी की कीमत 30.91 रूपये प्रति एससीएम वहीं नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद में सीएनजी की कीमत 50.90 रूपये प्रति किलोग्राम तो पीएनजी की कीमत 30.86 रूपये प्रति एससीएम हो गई है।
गौरतलब है कि देश की तेल कंपनियां प्रत्येक महीने की पहली और पंद्रह तारीख को रसोई गैस के दाम की समीक्षा करती हैं। और उसके बाद गैस की कीमतें तय करती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अनुसार तय होती हैं कीमतें
सरकार कुछ ग्राहकों को साल में 14.2 किलोग्राम के 12 सिलिंडरों पर सब्सिडी देती है। लेकिन यदि ग्राहकों के इससे अधिक सिलेंडर्स की जरूरत होती है तो उन्हें बाजार वाली कीमतें अदा करनी पड़ती हैं।
बता दें गैस सिलिंडर के दाम हर माह परिवर्तित होती हैं। जो औसत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क दर और विदेशी मुद्रा के एक्सचेंज रेट के हिसाब से तय होते हैं। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ते हैं तो सरकार सब्सिडी बढ़ा देती है, और जब दरें नीचे आती हैं तो सब्सिडी घटा दी जाती है। कर नियमों के अनुसार रसोई गैस पर जीएसटी (Goods and Services Tax) की गणना ईंधन के मार्केट वैल्यु पर ही तय की जाती है।