World Cup 2023: जिद्दी मिलर – हारी हुई टुकड़ी का आखिरी सैनिक
6 मई 2013 के दिन किंग इलेवन पंजाब का मैच और आईपीएल की सबसे अतरंगी टीम आरसीबी से हुआ। ये आईपीएल का वो दौर था जब आरसीबी के लिए ओपनिंग में एक तरफ क्रिस गेल उतरते थे, और दूसरी तरफ चेतेश्वर पुजारा। आरसीबी का मैनेजमेंट मकबूल के डायलॉग से बहुत प्रभावित था कि “शक्ति का संतुलन बना रहना चाहिए।”
दर्शको के सुपर हीरो
इसलिए एक तरफ पुजारा को उतारा जा रहा था,ताकि दूसरी तरफ क्रिस गेल आग लगाए तो सामने एक आदमी पानी डालने वाला हो।एक तरफ एक आदमी फिल्डर और दर्शको की निगाह एक जगह जमने न दे,और दूसरी तरफ एक आदमी अब तक निगाह जमा ले ताकि “शक्ति का संतुलन.. ख़ैर, उस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए आरसीबी की शुरुआत ख्याति अनुरूप हुई, लगभग साढ़े ग्यारह ओवर में स्कोर 102 हो गया था जब बहुत मान मनौती के बाद 184 के स्ट्राइक रेट से 33 गेंद में 61 रन बनाकर क्रिस गेल वापस हो लिए।
क्रीज पर पुजारा और कोहली थे। टीम मजबूत स्थिति में थी। फिर आरसीबी को बड़ा झटका उस वक्त लगा जब 106 के स्ट्राइक रेट से 48 गेंद में 51 रन बनाकर पुजारा निकल लिए। झटका इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि पुजारा भाई साहब ने अभी ताजा ताजा भाजना शुरू ही किया था। पुजारा को ये रिस्क इसलिए उठाना पड़ा क्योकि उनके सामने कोहली पूरे सौ का स्ट्राइक रेट मेंटेन करने में लगे थे। फिर जब दोनो आउट हो गए तो उनकी मेहनत पर 200 के स्ट्राइक रेट से डिविलियर्स और 228 के स्ट्राइक रेट से हेनरिक्स ने 38 और 16 रन बनाकर पानी फेर दिया। न चाहते हुए भी आरसीबी को इन दोनो की वजह से 20 ओवर में 190 रन बनाना पड़ा।
डेविड मिलर नाम को मिला नया नाम
जवाब में खेलने उतरी पंजाब का हाल इससे समझ जाइए कि इस टीम का टॉप ऑर्डर आरसीबी की ख्यातिप्राप्त गेंदबाजी के आगे ढेर हो गया।लगभग साढ़े नौ की इकोनॉमी को चेज करते हुए दस ओवर तक 6.4 की इकोनॉमी मेंटेन करने में इस टीम के चार बल्लेबाजों को विकेट कुर्बान करना पड़ गया। अब विकेट बचे थे छे और 61 गेंद पर 127 रन चाहिए था, लगभग साढ़े बारह की इकोनॉमी से। फिर अफ्रीका का 24 साल का एक बल्लेबाज उतरा जो नया नया भारतीय क्रिकेट की मनरेगा का मजदूर बना था। तब उसके नाम के साथ रायमिंग के लिए कुछ जोड़ा नही गया था, बस डेविड मिलर नाम से जाना जाता था,
किलर फिलर की उपाधि मिली नही थी । फिर क्रीज पर उतरते ही मिलर को वो दिखा, जो किंग इलेवन के बाकी चार बल्लेबाजों को नही दिखा था। मिलर ने देखा की साढ़े बारह की इकोनॉमी भले चाहिए थी, पर सामने जो गेंदबाज थे, वो पन्द्रह की इकोनॉमी के नीचे तो गेंद हाथ में नही लेते थे।ये राज खुलते ही मिलर खूंटा तोड़ के खेले उस दिन, 38 गेंद में सेंचुरी मार दी। नाम मिला किलर मिलर। यानी तुकबंदी वाली कमेंट्री उस टाइम भी होती थी, पर हम लोग पागल थे जो सिद्धू की शायरी और चुटकुले पर ताने कसते थे, ये जाने बगैर कि आगे के कॉमेंटेटर क्या करने वाले है। तो उस मैच ने मिलर का हव्वा खड़ा कर दिया।
दुनिया की हर ट्रॉफी डिजर्व
लगभग साढ़े छे फीट लंबा ये खब्बू बल्लेबाज नाम कमा चुका था, पर इज्जत कमाने के लिए लीग नही देश के लिए परफॉर्म करना पड़ता है। कुछ दिन बाद 19 जून 2013 को चैंपियंस ट्रॉफी का सेमीफाइनल साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच हुआ। डिविलियर्स कप्तान थे, वो डिविलियर्स जो दुनिया की हर ट्रॉफी डिजर्व करता था पर हाथ खाली रहे हमेशा। सेमीफाइनल में पहले खेलने उतरी अफ्रीका की पारी शुरू में ही छितरा गई।
अफ्रीका का शाप तोड़ने में सफल नहीं
नतीजा ये हुआ कि 22 ओवर में टीम का हाल 80 पे 8 हो गया। फिर मिलर खड़े हो गए, नौवे विकेट के लिए 95 रन की साझेदारी की। पर आखिर में मैच हार गई अफ्रीका। फिर 2015 वर्ल्ड कप आया, अफ्रीका के लिए मिलर ने 139 के स्ट्राइक रेट से सबसे ज्यादा 324 रन बनाए। सेमीफाइनल में भी 18 गेंद में 49 रन बनाए, पर अफ्रीका का शाप तोड़ने में सफल नहीं हो सके। फिर 2019 आया, वही हाल और अब 2023 का वर्ल्ड कप चल रहा है।
अफ्रीका की टोपी पहने मैदान में पहला कदम
नीडरलैंड के खिलाफ जब अफ्रीका 246 का लक्ष्य हासिल करने उतरी तो 89 पर पांच विकेट गिर चुके थे। अफ्रीका को शर्मिंदगी से बचाने के लिए मिलर ने इस मैच में भी बोल्ड होने से पहले 45 रन बनाए। जब वो आउट हुए तो अफ्रीका अपने लक्ष्य से 101 रन दूर थी। आज जब अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बल्लेबाजी करने उतरी तो अपने माथे पर चोकर्स का कलंक लेकर उतरी थी, ऐसा कलंक जो किसी पारिवारिक श्राप की तरह अफ्रीका के हर खिलाड़ी के माथे पर तब लग जाता है जब वो अफ्रीका की टोपी पहने मैदान में पहला कदम रखते है।
अफ्रीका की पुरानी दुश्मन बारिश
लांस क्लूजनर से शुरू हुआ ये कलंक या शाप कालिस स्टेन और डिविलियर्स से होते हुए मिलर के भी माथे पर लगा हुआ है। आज अफ्रीका के हर महान प्लेयर की तरह मिलर भी इस सपने के साथ इडेन आए थे कि उनकी टीम चोकर्स के धब्बे को आज साफ करके मानेगी। पर 12 ओवर के बाद 24 रन पर अफ्रीका के वो चार प्लेयर पवेलियन लौट चुके थे जिन्होंने इस विश्व कप में हर गेंदबाज को आतंकित कर रखा था। मिलर क्लासेन के साथ धीरे धीरे पारी को बढ़ा रहे थे की अफ्रीका की पुरानी दुश्मन बारिश आ गई, बारिश का संकट टला और दोनो ने किसी तरह पारी को संभाला फिर क्लासेन के आउट होते ही मिलर एक बार फिर एक तरफ अकेले पड़ गए। पर ये बंदा लड़ता रहा, आखिरी गेंद आखिरी सांस तक,उस गेंदबाजी अटैक के सामने शतक मारा जिसके सामने उसके साथी खिलाड़ी खड़े नही हो पा रहे थे।
नॉकआउट में नम आंखों से मैदान छोड़ते
अफ्रीका को एक ऐसे स्कोर तक पहुंचाया जहा अफ्रीका लड़ भिड़ सकती है, ये साबित कर सकती है की वो चोकर्स नही। अफ्रीका में हमेशा ऐसे प्लेयर रहे जिन्हे नॉकआउट में नम आंखों से मैदान छोड़ते देखकर हर क्रिकेट फैन का दिल बैठ जाता है।बस दुआ है कि अफ्रीका किसी तरह अपनी गेंदबाजी को संभाले और लड़े पूरी जान से, किलर मिलर जो वक्त पड़ने पर सेवियर मिलर बन जाता है टीम के लिए, इतना तो डिजर्व करता ही है। जो लोग क्रिकेट देखते नही समझते है, वो जानते है कि इस विश्व कप की सबसे बेहतरीन इनिंग मैक्सवेल ने नही, आज मिलर ने खेली है।