ये सिर्फ एक तस्वीर नहीं, भविष्य के फैसले का शंखनाद है? | CM Yogi Adityanath

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CM Yogi Adityanath: न साल 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने सीएम योगी का चेहरा BJP के लिए एक बड़ा फैक्टर है.

सीएम योगी ने मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया.

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CM Yogi Adityanath: क्या संघ परिवार और बीजेपी के नीति निर्धारकों ने भविष्य का नया नेता गढ़ना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में 30 सालों बाद अगर किसी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाबी पाई है तो सिर्फ योगी आदित्यनाथ ही हैं. भगवा चोला पहने योगी की छवि एक कट्टर हिंदुत्व और सख्त प्रशासक की है. उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के बाद से बीजेपी को व्यापक जनाधार नेता को तलाशने में कई साल लग गए और इसका खामियाजा भी बीते कई चुनावों में भुगतना पड़ा. इसमें कोई दो राय नहीं है कि साल 2017 का चुनाव बीजेपी ने पीएम मोदी की चेहरे और उज्ज्वजा जैसी योजनाओं के दम पर जीता था.

योगी आदित्यनाथ अब एक बड़ा चेहरा
लेकिन साल 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने सीएम योगी का चेहरा एक बड़ा फैक्टर है. लेकिन अगर समीकरणों और राजनीतिक दांवपेंचों से अलग जाकर बात करें तो कुछ तस्वीरें भी सामने आती हैं. चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी का हाथ और सीएम योगी के कंधे पर रखने वाली तस्वीर बीजेपी कार्यकर्ताओं को एक तरह से संदेश था. यह एक तरह से मुनादी थी कि भले विपक्ष या एक वर्ग सीएम योगी पर ठाकुरवादी होने का आरोप लगाए या तमाम असफलताएं गिनाएं लेकिन इस समय बीजेपी का जो सबसे बड़ा नेता है उसका हाथ योगी के कंधे पर है.

यूपी चुनाव 2022 से पहले की तस्वीर है

साल 2014 के चुनाव में मोदी ब्रांड की जब बात आई तो उसमें नरेंद्र मोदी का गुजरात में बीजेपी को अजेय बना देना सबसे बड़ा फैक्टर था. हिंदुत्ववादी चेहरे के साथ-साथ विकास का जो गुजरात मॉडल पूरे देश में छाया उसके आगे बीजेपी के सारे नेता बौने साबित हुए. यहां तक कि लालकृष्ण आडवाणी भी विरोध के बाद शांत पड़ गए और साथ में उनके खेमे को लोग भी.

कट्टर हिंदू मिजाज से अब समावेशी राजनीति की ओर
लेकिन ऐसी ही कुछ छवि अब सीएम योगी की भी गढ़ी जा रही है. मीडिया में उनके परिवार खासकर मां के साथ जो तस्वीरें आ रही हैं वो बिलकुल वैसी हैं जैसे पीएम मोदी अपनी मां और परिवार के साथ मिलते हैं. दोनों की छवि देश के लिए परिवार को छोड़ने वाली है और ऐसे में जब आम जनमानस में जब इस तरह के शख्स की तस्वीरें सामने आती हैं तो उसका भावुक होना स्वाभाविक है.

सीएम योगी आदित्यनाथ की सोच हिंदुत्व को लेकर एकदम साफ है लेकिन दूसरे कार्यकाल के दौरान उनके स्वभाव में थोड़ा परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है. एक तौर पर कहें तो वह हिंदुत्व की तीखी धार से अब धीरे-धीरे समावेशी या सबको साथ लेकर चलने की राजनीति की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं. इस बात को उनके एक बयान से समझा जा सकता है जिसमें उनकी ओर से अधिकारियों को कहा गया है ईद और अक्षय तृतीया पर बिजली न काटी जाए.

वहीं न सिर्फ मस्जिदों और बल्कि मंदिरों से भी लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं. इसके साथ ही अयोध्या में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश करने वाले सभी लोगों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है जबकि उनमें से मुख्य आरोपी महेश मिश्रा खुद को बजरंग दल का कार्यकर्ता बता रहा था. एक बात तो एकदम साफ है कि सिर्फ हिंदुत्व के सहारे केंद्र की राजनीति नहीं की जा सकती है. शायद सीएम योगी को खुद को समावेशी बनाने की कोशिश कर रहे हैं.