क्या है ज़ीका वायरस, मुंबई में आया पहला केस  

क्या है ज़ीका वायरस, मुंबई में आया पहला केस

क्या है ज़ीका वायरस, मुंबई में आया पहला केस

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मुंबई में 79 वर्षीय एक बुजुर्ग ज़ीका वायरस से संक्रमित हो गया था। उनका इलाज इसके बाद शुरू हुआ और वह अब पूरी तरह से स्वस्थ चुके हैं। बुजुर्ग व्यक्ति मुंबई के उपनगर चेंबूर के रहने वाले हैं। यह जानकारी बुधवार को मुंबई महानगरपालिका ने दी। बीएमसी ने कहा कि जीका संक्रमण ‘स्वयं ठीक होने वाली बीमारी’ है, इसलिए इससे लोगों को घबराने की जरूरत नहीं हैं।

उपनगर चेंबूर में रहने वाले शख्स ज़ीका वायरस से संक्रमित थे। 19 जुलाई को उन्होंने बुखार, नाक बंद होना और खांसी के लक्षण डॉक्टर को बताए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। मरीज़ 2 अगस्त को ठीक हो गए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मरीज को 20 साल पहले एंजियोप्लास्टी किया गया था और वे मधुमेह और रक्तचाप से पीड़ित थे।

ज़ीका वायरस 1947 में पहली बार आया

जीका मच्छरजनित बीमारी है, जिसे 1947 में युगांडा में पहली बार पहचाना गया था। चिकित्सकों का कहना है कि ज़ीका कुछ लोगों में गंभीर बीमारी विकसित करने का खतरा पैदा कर सकता है, जिसके अधिकांश लक्षण फ्लू और अन्य मच्छरजनित रोगों की तरह हैं। गर्भावस्था के दौरान ज़ीका से संक्रमित मां से पैदा होने वाले बच्चों को माइक्रोसेफली नामक जन्म दोष हो सकता है, जो डेंगू, मलेरिया और ज़ीका जैसे मच्छर जनित रोगों से जुड़ा हुआ है। संक्रमितों में इसके कारण गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने का बहुत कम खतरा देखा जाता है। सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती को मच्छरों से बचने के लिए सावधान रहना चाहिए और इस बीमारी से बचने के लिए निरंतर ध्यान देना चाहिए।

ज़ीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति हो सकते है खुद ही ठीक

बीएमसी ने अपने बयान में कहा, ‘जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति खुद ही ठीक हो जाते हैं और इससे संक्रमित 80 फीसदी लोगों कोई लक्षण नहीं होता है।’ बीएमसी ने कहा कि मरीज़ के घर के आसपास स्थित घरों में सर्वेक्षण किया लेकिन इसका कोई और मामला नहीं मिला। बयान में कहा गया है कि ज़ीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है जिनके कारण डेंगू और चिकुगुनिया भी होता है। बताया जा रहा है कि ज़ीका वायरस से होने वाला संक्रमण इतना भयानक होता है कि कई बार मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। बता दें कि बीते मई महीने में ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी ने जीका वायरस का टीका बनाया था और उस पर ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया था। इससे पहले इसे जानवरों पर भी आजमाया जा चुका है।

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