क्या है ‘द एम्पायर’ वेब सीरीज का विवाद, जाने बाबर के मुगल बादशाह बनने की कहानी

बॉलीवुड: भारत में आए दिन फिल्मों और वेब सीरीज पर विरोध होने लग जाता है। शुक्रवार को हॉट स्टार पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘द एम्पायर’ विवादों में घिरी नजर आ रही है। इस सीरीज के ट्रेलर लांच होते ही इसका विरोध शुरु हो गया। लोगों का कहना है कि इस सीराज में बाबर का महिमामंडन किया गया है। इस सीरीज के निर्माता निखिल आडवाणी हैं और निर्देशन मिताक्षरा कुमार ने किया है। इस सीरीज को एलेक्स रदरफोर्ड के उपन्यास ‘एम्पायर ऑफ द मोगुल: रेडर्स फ्रॉम द नॉर्थ’ से प्रेरित होकर बनाया गया है। सीरीज में बाबर का किरदार कुणाल कपुर ने निभाया है । इस सीरीज में राहुल देव महत्वपुर्ण भुमिका में नजर आए हैं। वहीं हुमांयु का किरदार आदित्य शील ने निभाया है। सीरीज की सबसे चर्चित किरदार ख़ान जादा का किरदार दृष्टि धामी ने किया ह
कौन था बाबर
कहा जाता है बाबर तैमुर और चंगेज खान का वंशज था। बाबर का जन्म 1483 ईसवी में फरगाना (जो आज उजबेकिस्तान में पड़ता है) में हुआ था। बाबर के पिता उमर शेख मिर्जा फरगाना के बादशाह थे लेकिन शेख मिर्जा के असमय मौत के कारण बाबर को फरगाना का शासन संभालना पड़ा। फरगाना का तख्त संभालते ही बाबर को समरकंद पर हमला करना पड़ा क्योंकि ये राज्य उमर शेख मिर्जा के रिश्तेदारों ने कब्जा कर रखा था, लेकिन उन रिश्तेदारों को मारकर अब शबानिया खान नाम के शासक ने कब्जा कर रखा था। लेकिन समरकंद पर कब्जा करते ही बाबर के हाथ से फरगाना चला जाता है। बाबर को पता चलता है कि फरगाना के कुछ दरबारियों के साथ मिलकर शबानिया खान ने फरगाना पर कब्जा कर लिया है। बाबर और शबानिया खान के बीच कई जंगे लड़ी जाती हैं।
कैसे हुआ काबुल पर शासन
द एम्पायर सीरीज में दिखाया गया है कि शबानिया खान और बाबर के समझौते में खानजादा बेगम को बंदी बना लिया जाता है। खान जादा बेगम बाबर की बड़ी बहन थी जिसे बाबर ने आगे चलकर अपना सलाहकार बनाया था। शबानिया खान और बाबर के समझौते के बाद बाबर को समरकंद छोड़ना पड़ा था लेकिन शबानिया की शर्त थी कि खान जादा समरकंद में ही रहे और ऐसा ही हुआ। बाद में शबानिया खान ने खानजादा ने शादी भी कर ली थी। लेकिन कुछ साल बाद बाबर ने समरकंद जीत लिया और काबुल जाकर शासन करने लगा।
काबुल में शासन के 20 वर्षो को बाद बाबर ने भारत के ऊपर चढ़ाई कर दी और 1526 में इब्राहिम लोदी से पानीपत की पहली लड़ाई लड़ी। इतिहासकारों के अनुसार बाबर की सेना में मात्र 12000 सैनिक थे जो बाबर के प्रति भरपुर आस्था रखते थे और माहिर घुड़सवार सेना थे जो रणनीति बना कर युद्ध करते थे। इसके साथ ही बाबर की सेना में आधुनिक तुर्की तोपों का जखीरा था। वहीं लोदी की सेना में 1 लाख सैनिक थे लेकिन उनके लड़ने की शैली बेहद पुरानी थी और वे लड़ने के लिए उचित रणनीति नही बनाते थे।
जब बाबर ने किया था दिल्ली पर कब्जा
इस लड़ाई में इब्राहीम लोदी मारा गया और बाबर की जीत हुई। जीत के तीन दिन बाद बाबर ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और 4 मई 1526 को आगरा पहुँच गया। इसके बाद बाबर ने भारतीय उपमहाद्वीप के कई राज्यों को जीता और अपने राज्य में मिला लिया। 1530 में बाबर की मौत हो गई और कहा जाता है उस समय बाबर की उम्र 47 साल थी और वो सेहतमंद भी था। लेकिन अपने उत्तराधिकारी के चयन के शोक में बाबर ऐसा डूबा की उसकी मौत हो गयी। बाबर ने मरने से पहले हुमांयु को कहा था कि वो अपने भाइयों के विरुद्ध कुछ न करे, भले ही वे इसके लायक क्यों न हों”। इसके बाद दिल्ली के तख्त पर हुमांयु का शासन शुरु हुआ।
सीरीज की कमजोर कड़ी
इस सीरीज में कई काल्पनिकता को भी जोड़ा गया है। कहानी का झुकाव एक तरफा लगता है, सीरीज में बाबर के किए अन्यायों को नही दिखाया गया। हिंदुओं को रिझाने के लिए सीरीज में बाबर द्वारा हिंदुओं पर अत्याचार को नही दिखाया गया है। बाबर की आत्मकथा ‘तुज़ुक-ए-बाबरी में लिखा है कि उसने अपने लड़ाइयों के दौरान हजारों की संख्या में हिन्दू और सिख नागरिकों और गैर-सुन्नी मुसलमानों को निशाना बनाया था। बाबर ने कई नरसंहार किए। बाबर ने ‘तुज़ुक-ए-बाबरी में भारत पर आक्रमण को और राणा सांगा के साथ युध्ध को एक इस्लामिक जिहाद के तौर पर लिखा और वो अपने आप को गाज़ी कहता था।