पहाड़ी नालों के कटन से ग्रामीण परेशान, प्रशासन नहीं कर रहा समस्या का समाधान

राप्ती नदी हर बरसात के मौसम में बाढ़ लाकर अपना तांडव दिखती है। वहीं, दर्जनों की संख्या में नेपाल की पहाड़ियों से उतर कर जिले में पहुंचने वाले पहाड़ी नाले भी ग्रामीणों के जीवन को कष्टमय बनाते हैं। खासकर, हेंगहा, धोबैनिया और खरझार नाले हर सीजन ना केवल बाढ़ लेकर आते हैं। बल्कि बड़े पैमाने पर कटान भी करते हैं। जिससे ग्रामीणों को खासी परेशानी होती है। लेकिन नेता और अधिकारी अपने मौज में जीवन जीकर यहां से चले जाया करते है। अपनी आवाज़ को बुलंद करने के लिए टेढीप्रास, छिटनडीह, मझरेटी, अहिरनपुरवा, उदईपुर, खैरहनिया सहित आधा दर्जन गांव के लोगों को नालों के समीप आकर जबरदस्त प्रदर्शन किया व सरकारी तंत्र को जगाने काम किया और उनकी सुध लेने की अपील की।
दरअसल, हर्रैया सतघरवा विकासखंड अन्तर्गत नेपाल से होकर निकलने वाले पहाडी नालों धोबैनिया, जमधरा समेत आधा दर्जन नालों में हर वर्ष बारिश के मौसम मे आने वाले उफान व बाढ़ के कारण टेढीप्रास, छिटनडीह, मझरेटी,अहिरनपुरवा, उदईपुर खैरहनिया समेत आधा दर्जन गांव कटान की जद में होते हैं। छिटनडीह गांव चारों ओर पहाड़ी नाले से घिरा हुआ है। उफान आते ही ग्रामीण गांव से बाहर नहीं निकल पाते हैं। हर वर्ष करीब 10 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि कटकर नाले मे समाहित हो जाती है। नाले व गांव के बीच घटती दूरी ग्रामीणों के चिन्ता का विषय बना हुआ है।
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन उनकी समस्याओं का निस्तारण नहीं करना चाहता है। इस बार पहाड़ी नालें मे बाढ़ आई तो छिटनडीह गांव का अस्तित्व समाप्त होना तय माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जिला प्रशासन व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गांवों को बचाने के लिए तत्काल कोई एक्शन नहीं लिया गया। तो यह गांव और गांव के गांवों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। ग्रामीण बताते हैं कि हम लोगों ने कई बार कलेक्ट्रेट व अन्य जगहों पर जाकर प्रार्थना पत्र दिया है और इसे ठीक करवाने की मांग की है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमने इस बाबत कई बार तमाम स्थानों पर प्रदर्शन कर विरोध भी जताया है। लेकिन सालों पुरानी समस्या, जस की तस बनी हुई है।
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