Uttarakhand: राज्य में 1 मार्च से बिजली संकट के आसार, सीएम धामी ने संभाला मोर्चा

प्रदेश में एक मार्च से बिजली संकट खड़ा हो सकता है। केंद्रीय पूल के विशेष कोटे से उत्तराखंड को 300 मेगावाट बिजली मिल रही है। जिसकी मियाद 28 फरवरी को खत्म हो रही है। ऐसे में राज्य में बिजली संकट गहराने के आसार हैं।
गर्मी की दस्तक के साथ ही राज्य में बिजली की मांग बढ़ रही है। बिजली की बढ़ती मांग की आपूर्ति यूपीसीएल के लिए चुनौती बना हुआ है। ऐसे में ये चुनौती 1 मार्च से और बढ़ सकती है। क्योंकि केंद्रीय पूल से जो विशेष कोटे की 300 मेगावाट बिजली 12 जनवरी से मिल रही है, उसकी मियाद 28 फरवरी को खत्म हो रही है।
केंद्र सरकार के कोटे से सस्ती बिजली मिलने के बाद भी यूपीसीएल को रोजाना तीन से चार मिलियन यूनिट बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में 28 फरवरी को केंद्र का कोटा खत्म होने से यूपीसीएल पर बोझ बढ़ जाएगा। नतीजा ये होगा कि बाजार से करीब 10 से 12 मिलियन यूनिट बिजली खरीदनी पड़ेगी। जिससे यूपीसीएल पर वित्तीय बोझ भी बढ़ेगा। क्योंकि केंद्र से मिल रही बिजली की दर 4 से 5 रूपए प्रति यूनिट है।
जबकि बाजार में ये दर 10 से 12 रूपए प्रति यूनिट है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद गैस के दाम बढ़ने से देश के अन्य संयंत्रों की तरह उत्तराखंड के काशीपुर में भी दो संयंत्र बंद पड़े हुए हैं। ये दोनों 321 मेगावाट के संयंत्र हैं। अगर ये संयंत्र चलते हैं तो राज्य को बिजली संकट से राहत मिल सकती है। प्रदेश सरकार इस संकट को टालने की लगातार कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद मोर्चा संभाल रखा है।
सीएम ने इस संबंध में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह को पत्र भेजा है। सीएम ने पत्र में विशेष कोटे से मिल रही बिजली की अवधि बढ़ाने की मांग की है। वहीं राज्य में बिजली संकट गहराने से पहले ही केंद्र ने भी गैस आधारित ऊर्जा संयंत्र चलाने के लिए 28 फरवरी को बैठक बुलाई है। लेकिन अगर इस बैठक में कोई सकारात्मक हल नहीं निकला, तो राज्य में बिजली संकट एक मार्च से गहरा सकता है।
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