
उत्तराखंड में धर्म परिवर्तन की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर धामी सरकार ने धर्मांतरण कानून को सख्त करने की ओर कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए विधानसभा के पटल पर उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक पेश किया गया है। इस विधेयक में जबरन धर्मांतरण पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। कानून अस्तित्व में आते ही जबरन धर्मांतरण गैर जमानती अपराध होगा। साथ ही 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा। वहीं सामूहिक धर्मांतरण में दोष साबित होने पर 3 से 10 साल की सजा और 50 हजार जुर्माना किया जाएगा। संशोधन विधेयक में मुख्य रूप से ये प्रावधान किए गए हैं।
विधेयक में ये भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपने ठीक पूर्व धर्म में परिवर्तन करता है तो उसे कानून में धर्म परिवर्तन नहीं समझा जाएगा। ठीक पूर्व धर्म का मतलब है कि उस व्यक्ति की आस्था, विश्वास से है और जिसके लिए वो स्वेच्छा और स्वतंत्र रूप से अभ्यस्त था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में धर्मांतरण कानून में संशोधन को बेहद जरूरी बताया है। सीएम का कहना है कि तमाम हथकंडों से लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है जिसे उत्तराखंड में कतई नहीं होने दिया जाएगा।
वहीं प्रदेश के पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने भी धर्मांतरण कानून को सख्त किया जाना बेहद जरूरी बताया है। सतपाल महाराज का कहना है कि नेपाल और चीन सीमा से लगे क्षेत्र में धर्मांतरण की कोशिशें की जा रही हैं । और ऐसे में प्रदेश और देश की सुरक्षा पर खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए कठोर धर्मांतरण कानून बनाने के लिए सदन में संशोधन विधेयक पेश किया गया है।