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Uttarakhand: डीजीपी अशोक कुमार ने की अपील, कहा- ‘जून के बाद चारधाम आएं श्रद्धालु तो होगी सुविधा’

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चारधाम यात्रा में उमड़ रही भारी भीड़ के मद्देनजर डीजीपी अशोक कुमार  ने श्रद्धालुओं के जून के बाद यात्रा पर आने की अपील की है। डीजीपी ने कहा है कि चारधाम यात्रा में क्षमता से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में परेशानी हो रही है। इसलिए श्रद्धालु जून के बाद के महीनों में यात्रा पर आएंगे तो उन्हें असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पूरी गति पकड़ चुकी है। चारों धाम में देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। अभी तक 17 लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धाम के दर्शन कर चुके हैं। श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ केदारनाथ धाम में उमड़ रही है। केदारनाथ धाम में क्षमता से अधिक यात्री बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने केदारनाथ धाम के लिए नए पंजीकरण पर 3 जून तक रोक लगा दी है। वहीं, पहले ही पंजीकरण करा चुके यात्रियों को हरिद्वार, ऋषिकेश, तपोवन, व्यासी, श्रीनगर और रुद्रप्रयाग में रोक कर आगे भेजा जाएगा।

यात्रियों की भारी भीड़ के कारण जगह जगह ट्रैपिक जाम की समस्या भी हो रही है। क्षमता से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने से प्रशासन को यात्रा व्यवस्था को संभालने में मुश्किल हो रही है। जिसे देखते हुए पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने श्रद्धालुओं से जून महीने के बाद चारधाम दर्शन का कार्यक्रम बनाने की अपील की है। डीजीपी ने कहा है कि चारधाम यात्रा अक्टूबर के महीने में भी दीपावली तक जारी रहती है। इसलिए जून के बाद के महीनों में भी श्रद्धालु चारधाम दर्शन कर सकते हैं।

डीजीपी ने राज्य की पश्चिमी सीमा से गंगोत्री, यमुनोत्री जाने वाले यात्रियों से वाया मसूरी नहीं जाने की भी अपील की है। डीजीपी का कहना है कि मसूरी में पहले ही पर्यटकों की भारी भीड़ है जिससे जाम की समस्या हो रही है। इसलिए सुगम यात्रा के लिए श्रद्धालु विकासनगर- डामटा होते हुए गंगोत्री-यमुनोत्री की यात्रा करें। चारधाम यात्रा राज्य की आर्थिकी से जुड़ी हुई है। और यात्रा में ज्यादा श्रद्धालुओं का आने स्थानीय लोगों की आजीविका के लिहाज से बेहतर है। लेकिन इस बार यात्रा में पहाड़ों की क्षमता से ज्यादा श्रद्धालु उत्तराखंड आ रहे हैं जिससे मजबूरन यात्रियों से उनका यात्रा कार्यक्रम आगे बढ़ाने की अपील करनी पड़ रही है।

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