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Uttarakhand: 22वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा, 5945 एकत्रित अस्थि कलशों को मां गंगा में विसर्जित किया गया

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सनातन धर्म के अनुसार एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियां गंगा में प्रवाहित नहीं की जाती तो उसे मुक्ति नहीं मिलती और बहुत से लोग मरने के बाद लावारिस मानकर शमशान घाट पर छोड़ दिए जाते हैं. लेकिन दिल्ली की एक संस्था श्री देवोत्थान सेवा समिति ने इन लावारिस अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने का बीड़ा उठाया है। यह संस्था पिछले 22 साल से गंगा में 5945 लावारिस अस्थियों को प्रवाहित कर रही है।

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हरिद्वार कनखल में सती घाट पर गंगा में करीब 5945 संग्रहित अस्थियों को पूरी तरह से प्रवाहित किया गया। दिल्ली की स्वयं सेवी संस्था श्री देवोत्थान सेवा समिति ने पिछले 22 वर्षों से गंगा में लगभग 1 लाख 61 हजार 161 लावारिस लोगों की अस्थियाँ प्रवाहित की हैं। सनातन धर्म के पूरे नियम और धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार, अस्थियों को गंगा में बहाया गया। यही नहीं, इन लावारिस अस्थियों को पहले पूरे सम्मान के साथ एक शोभायात्रा के द्वारा भूपतवाला से हर क़ी पौड़ी और शहर के अन्य स्थानों से सती घाट लाया गया था, जहां पर पूरे विधि-विधान के साथ इन अस्थियों को गंगा मे प्रवाहित किया गया।

पिछले 22 साल से, संस्था का लक्ष्य लोगों को अपने आप के प्रति जागरूक करना और मुक्ति पाना है। संस्था के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र ने बताया कि यह 22वां अवसर है जब गंगा में पिछले 14 साल में करीब एक लाख लावारिश अस्थियों का विसर्जन हुआ है। वे कहते हैं कि इस वर्ष 5945 अस्थिया लाए गए हैं। उन्हें बताया कि यह विश्वास का काम है और भटकती आत्माओं को शांति देता है. इससे आत्मिक शांति मिलती है और युवा लोगों को अपने बुजुर्गों के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास दिलाया जाता है।

पाकिस्तान से अस्थियां नहीं मिली

साथ ही विजय शर्मा ने बताया कि इस साल भी पाकिस्तान से अस्थियां आनी थीं, लेकिन वीजा नहीं मिलने के कारण भारत नहीं आ पाईं। इस बार पाकिस्तान से लगभग 352 अस्थियां भारत में आने वाली थीं. 10 तारीख तक व्यवस्था भारत में आ जाएगी. फिर हम पुणे से हरिद्वार जाकर उन अस्थियों को गंगा में विसर्जित करेंगे।

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