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Pippa Review: भारतीय फौजी का जज्बा, शानदार है ईशान खट्टर की ‘पिप्पा’

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पिप्पा भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान हुई गरीबपुर की कहानी को दर्शाती है। आरएसवीपी और रॉय कपूर फिल्म्स के बैनर तले बनी और राजा कृष्ण मेनन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में Ishaan Khatter रियल लाइफ वॉर हीरो कैप्टन बलराम सिंह मेहता का किरदार निभा रहे हैं। ईशान खट्टर-मृणाल ठाकुर स्टारर ‘पिप्पा’ फिल्म अमेजन प्राइम प्लेटफॉर्म पर आ गई है। फिल्म देशभक्ति के जज्बे के साथ-साथ वॉर जोन, PT-75 टैंक, एक परिवार और रिफ्यूजीयों की जिंदगी के दर्द को भी दिखाने का दावा करती है।

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क्या है पिप्पा की कहानी

ईस्ट पाकिस्तान से कैसे बाग्लांदेश बना? कैसे बंटवारे के बाद बांग्लादेशियों पर जुल्म किए गए? कैसे उन्हें अपनी जान बचाने के लिए शरण लेने भारत आना पड़ा? भारत ने कैसे एक दूसरे देश की आजादी के लिए अपने सैनिकों को तैनात किया। भारत ना सिर्फ अपना बल्कि अपने पड़ोसी देशों का भी कितना ख्याल रखता है, ये सब इस फिल्म में दिखाया गया है। लेकिन इसी के साथ कहानी है एक परिवार की, जहां सब देश भक्ति के जज्बे में डूबे हैं। देश के लिए कुछ भी करने को तैयार है।

कैसी है फिल्म

पिप्पा बिना किसी ड्रामेबाजी के अपनी कहानी कहती है। उनका दर्द दिखाती है, जो इस जंग में अपनी जान की आहुति दे गए।भारत के जज्बे को दिखाती है, जो सिर्फ चुप नहीं बैठता दुश्मन को जवाब भी देना जानता है, लेकिन अपने तरीके से. फ्रंट पर ना भेजे जाने से फौजी को जो दर्द होता है, उस दर्द को आप महसूस कर सकेंगे. यहां कोई लव स्टोरी नहीं है, लेकिन थोड़ी सी अठखेलियां जरूर है। हर बार जब जंग पर सवाल उठाए जाते हैं, तो फिल्म के जरिए मेकर्स ने बताया है कि कई बार लड़ने का विकल्प नहीं होता है। हमें फ्रंट पर जाना जरूरी हो जाता है।

गैर-जिम्मेदारी से पूरी जंग का जिम्मा उठाने वाले ईशान खट्टर का काम अच्छा है। पर्सनल और सरहद- दो मोर्चों पर लड़ते ईशान आपको कहीं निराश नहीं करेंगे। वहीं मृणाल भी अपने रोल में पूरी तरह फब गई हैं। बाकी सभी एक्टर्स भी अपने रोल में पूरी तरह सधे हुए नजर आए। ऐसी फिल्म देखते हुए आपको जिस लाउड ड्रामे की उम्मीद नहीं होती है, फिल्म उसपर खरी उतरी है। इतना हम जरूर कह सकते हैं कि वीकेंड के दौरान आपको एक अच्छी फिल्म देखने का अनुभव जरूर हो सकता है।

फौजी परिवार का जज्बा

परिवार में रिश्तों की उधेड़बुन के साथ एक और महत्वपूर्ण कहानी है. और वो है PT-75 टैंक की, जो भारत का पहला ऐसा टैंक था, जो पानी में भी ऐसे तैरता था, जैसे घी का डिब्बा यानी पंजाबी भाषा में कहा जाने वाला शब्द ‘पिप्पा’. इस जंग को लीड करने का जिम्मा कैप्टन बलराम सिंह मेहता को मिला था, जो भारत की 45 कैवेलरी रेजिमेंट का हिस्सा थे. उनके सीनियर्स के जंग के दौरान शहीद हो जाने पर कैप्टन बलराम ने इस जंग का नेतृत्व किया और बांग्लादेश को आजादी दिलाई. इसी के साथ उनके खुद के पारिवारिक बिगड़े रिश्ते भी सुलझ गए।

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