
UCC: समान नागरिक संहिता (UCC) के लागू करने को लेकर संसद में सरकार से सवाल पूछा गया। लोकसभा में इस पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्पष्ट किया कि फिलहाल राज्यों को यूसीसी लागू करने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रचारित की गई जानकारियां गलत हैं।
कानून मंत्री ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान सभा में अनुच्छेद 44 (पूर्व में अनुच्छेद 35) के तहत समान नागरिक संहिता का प्रावधान रखा गया था। यह अनुच्छेद राज्य को देश में नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की दिशा में प्रयास करने का निर्देश देता है। उन्होंने यह भी बताया कि विवाह और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों पर अभी अलग-अलग धर्मों के कानून लागू हैं।
धर्मनिरपेक्ष और समान कानून
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए धर्मनिरपेक्ष और समान कानून लाना है, जो विवाह, उत्तराधिकार, गोद लेने और अन्य व्यक्तिगत मामलों को कवर कर सके। हालांकि, अभी इस दिशा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में यूसीसी को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने यूसीसी पर कई बार निर्देश दिए हैं और संविधान की भावना भी इसे प्रोत्साहित करती है।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि संविधान निर्माताओं का सपना था कि पूरे देश में समान नागरिक कानून लागू हो, और इस पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। उत्तराखंड हाल ही में अपना यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बना है। केंद्र सरकार ने यह मामला विधि आयोग को सौंपा है। 21वें विधि आयोग ने 2018 तक इस पर विचार किया था और विभिन्न हितधारकों से सुझाव मांगे थे। वर्तमान विधि आयोग ने भी इस पर नए सिरे से सार्वजनिक परामर्श शुरू किया है।
इस विषय पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है ताकि संविधान में अनुच्छेद 44 के तहत दिए गए निर्देश को साकार किया जा सके और देश में समान कानून व्यवस्था लागू हो सके।
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