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AAP: “2024 में मोदी सरकार को हराने के लिए पहले अध्यादेश को RS में हराना जरुरी”

केंद्र सरकार ने 9 दिन बाद ही 19 मई को अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली की आप सरकार को मिले अधिकारियों के तबादला-नियुक्ति का अधिकार छीन लिया था। अब इसे हथियार बनाकर आम आदमा पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मोर्चेबंदी में जुट गए है। रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी बैठक और इसकी तुरंत बाद केजरीवाल की देश के चार दलों के प्रमुखों से मिलने की घोषणा को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। नीतीश के साथ बैठक के बाद केजरीवाल जिस तरह से तेवर में आए हैं, उससे साफ संदेश जा रहा है कि इस मुद्दे पर आप राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी रणनीति बना रही है।

आप की मानें तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल के नेता व बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलकर अध्यादेश के खिलाफ समर्थन देने का वादा किया है। उन्होनें कहा है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के लोगों के साथ जो अन्याय किया है, इसके खिलाफ हम मिलकर लड़ेगे। नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली की निर्वाचित सरकार को काम करने से रोकने पर आश्चर्य जताया और पूरे देश में भाजपा की केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही।

आप के अनुसार, नीतीश कुमार पूरे देश में विपक्ष को एकत्र करने में जुटे हैं। केजरीवाल ने उनसे निवेदन किया हैं कि अगर केंद्र सरकार इस अध्यादेश को बिल के रुप में राज्यसभा में लाती है तों सारा विपक्ष एकजुट होकर उसे वहां हरा सकता हैं। केजरीवाल ने कहा है कि अगर राज्यसभा के अंदर वह बिल हार गया, तो यह एक तरह से वर्ष 2024 का सेमीफाइनल होगा और पूरे देश में संदेश जाएगा कि वर्ष 2024 में भाजपा की सरकार जा रही है। यह संदेश 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के खिलाफ एक बड़ा हथियार होगा।

केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए जल्द ही केजरीवाल ममता बनर्जी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मिलेंगे। केजरीवाल 23 मई को कोलकाता जाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलेंगे, उसके बाद एक-एक करके अन्य पार्टियों के अध्यक्ष से मिलेंगे। इसके तहत 24 मई को उद्धव ठाकरे और 25 मई को शरद पवार से मिलेंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली सरकार के खिलाफ लाए गए अध्यादेश का विरोध किया है।

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