
PFI पर अब 5 सालों तक का प्रतिबंध लग चुका है। हालांकि, प्रतिबंध लगाने से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने इस कट्टरपंथी संगठन से जुड़े होने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगो में प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, क्लर्क जैसे पदों पर काम करने वाले कई सरकारी कर्मचारी भी इसमें शामिल हैं।
बता दें कि, PFI के अध्यक्ष ओएमए सलाम को भी गिरफ्तार किया गया था, जो कि केरल सरकार में एक कर्मचारी रह चुके हैं लेकिन उन्हें 2020 में निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ईएम अब्दुर रहमान कोचीन विश्वविद्यालय एक रिटायर्ड लाइब्रेरियन हैं।
राष्ट्रीय सचिव वी पी नज़रुद्दीन जमात-ए-इस्लामी-हिंद के मुखपत्र मध्यम के पूर्व क्लर्क हैं। ऐसे ही राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य पी कोया कतर में एक निजी कंपनी के पूर्व कर्मचारी हैं। उन्होंने बाद में कोझीकोड के एक सरकारी कॉलेज में बतौर लेक्चरर काम किया।
कई सरकारी कर्मचारी भी PFI के मेंबर
कर्नाटक से गिरफ्तार किए गए दो PFI सदस्य अब्दुल वाहित सैत (राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद सदस्य) और अनीस अहमद (राष्ट्रीय महासचिव) तकनीकी विशेषज्ञ रह चुके हैं। PFI के संस्थापक सदस्य सैत एक संपन्न मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं और बेंगलुरु में रहते हैं। सैत टैली, ईआरपी और अन्य बिजनेस सॉफ्टवेयर के समाधानों के लिए काम करने वाली एक कंपनी चलाते हैं। अनीस अहमद ने छह महीने तक बेंगलुरू के एरिक्सन में वर्ल्ड टेक्निकल मैनेजर के रूप में काम किया था।
वह सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर काफी सक्रिय हैं और केंद्र सरकार की नीतियों सहित वर्तमान मुद्दों पर टिप्पणी करते रहते हैं।ओएमए सलाम केरल राज्य बिजली बोर्ड के एक कर्मचारी हैं। 14 दिसंबर 2020 को पीएफआई के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। सलाम के खिलाफ मलप्पुरम में मामला दर्ज है। वह रिहैब इंडिया फाउंडेशन से भी जुड़े हैं। बुधवार को इसे भी प्रतिबंधित कर दिया गया। वह 2000 में एनडीएफ के राज्य सचिव थे और 2007 से पीएफआई से जुड़े।