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AI की वजह से बढ़ेंगे जॉब ऑफर्स, या जाएंगी हज़ारों नौकरियां? आने वाले सालों में कौन-कौन सी टेक्नोलॉजी देंगी दस्तक

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AI आज कल हॉट टॉपिक बना हुआ है। इसको लेकर जॉब सिक्योरिटी को लेकर बहस शुरू हो चुकी है। कुछ लोगों का ऐसा मानना है AI की वजह से आने वाले समय में नौकरियां कम हो जाएंगी। वहीं दूसरी ओर टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर सीपी गुरनानी (CP Gurnani) का मानना है की AI नौकरियां खत्म करने के बजाय पैदा की हैं। हाल ही में एक सेशन में सीपी गुरनानी ने मौजूदा दौर में AI के प्रभाव और इस सेक्टर में नौकरियों के भविष्य को लेकर काफी उम्मीदें जताई हैं।

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अधिक रोजगार पैदा करने की क्षमता

बार्सिलोना में MWC 2023 में, एक मीडिया कर्मी ने अगले कुछ महीनों में नौकरी के अवसरों पर जनरेटिव AI के प्रभाव के बारे में पूछा। इसपर सीपी गुरनानी ने कहा- ‘मैं जनरेटिव AI के बारे में बहुत खुश हूं। मेरे लिए इसने नौकरियां नहीं खत्म की हैं, बल्कि इसने नौकरियां पैदा की हैं। टेक्नोलॉजी में हर चीज का दिल है। उन्होंने कहा कि AI को इस्तेमाल के मामले में अभी डिफाइन किया जा रहा है। इसका अर्थ ये है कि इसमें भविष्य में अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता है।’

‘टेक कंपनियों में ग्रोथ’

टेक सेक्टर हाल के दिनों में छंटनी का सामना कर रहा है, लेकिन गुरनानी का मानना है कि यह ‘टेक विंटर’ नहीं है। उन्होंने कहा कि अवसर बस खुल रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि Amazon, Microsoft, Google और Apple जैसी सफल टेक कंपनियां अभी भी अपने रिजल्ट में ग्रोथ दिखा रही हैं। यदि उन्हें पहले जितने लोगों की आवश्यकता नहीं है, तो वे केवल री- प्रायोरिटी दे रही हैं। गुरनानी ने टेक्नोलॉजी के महत्व और रोजगार सृजन पर इसके प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि AI ने नौकरियां नहीं लीं, बल्कि इसने नौकरियां पैदा कीं है।

तेजी से बढ़ रहा इस्तेमाल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) या AI का उपयोग काफी तेजी से बढ़ रहा है। कई क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल काम को आसान बना रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि आने वाले समय में इसकी डिमांड बढ़ेगी। आर्टफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) के जरिए मशीन इंसानों की तरह प्रॉब्लम सोल्व कर सकती है। इंसानों की तरह चीजें सीख सकती है।

3D प्रिंटिंग

3D प्रिंटिंग (3D Printing) को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (Additive Manufacturing) के नाम से भी जाना जाता है। किसी 3D ऑब्जेक्ट को डिजिटल फाइल से लेयर बाय लेयर (Layer by layer) बनाने के प्रोसेस को 3D प्रिंटिंग कहते है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मुकाबले 3D प्रिंटिंग थोड़ा कम टेक लग सकता है। लेकिन 3D प्रिंटिंग में दुनिया से एक नए दिशा में काम करवाने का पोटेंशियल है। मैन्युफैक्चरिंग और मैन्युफैक्चरिंग से रिलेटेड इंडस्ट्री को 3D प्रिंटिंग से पूरी तरह ट्रांसफॉर्म किया जा सकता है।

एक्सटेंडेड रियलिटी (XR)

Pokemon Go App की लोकप्रियता के बारे में तो हम सबने ही सुना है। यह ऐप एक उदहारण है मोबाइल बेस्ड ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality) का। वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality), ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality) और मिक्स्ड रियलिटी (Mixed Reality) का शार्ट वर्जन एक्सटेंडेड रियलिटी (Extended Reality) होता है। इस टेक्नोलॉजी से यूजर्स को इमर्सिव डिजिटल एक्सपीरियंस (Immersive Digital Experience) मिलता है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ब्रांड इंगेजमेंट को बूस्ट करने के लिए किया जाता है। मेटावर्स में भी XR का इस्तेमाल वर्चुअल दुनिया को ज्यादा एक्स्प्लोर करने का मौका देगा।

ब्लॉकचेन

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) जिस टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है उसको हम इग्नोर नहीं कर सकते। बात हो रही है ब्लॉकचेन (Blockchain) की। ब्लॉकचेन के डेसेंट्रलाइज़्ड (Decentralized) होने की वजह से इसे किसी एक परमानेंट लोकेशन पर स्टोर नहीं कर सकते है। इस वजह से डेटा का टेम्पर होने का या फिर करप्ट होने का डर खत्म हो जाता है। इसी लिए आने वाले समय में आर्गेनाईजेशन इसका इस्तेमाल डेटा स्टोरेज के लिए कर सकते हैं। इसका फायदा ऐसे होगा की कोई भी ऐसा संसथान या इंसान डेटा को डिलीट नहीं कर पाएगा जो की ऑथोराइज़्ड नहीं है। हैकिंग से भी डेटा बचा रहेगा। ब्लॉकचेन का इस्तेमाल हॉस्पिटल और स्टोर्स में, ऑनलाइन वोटिंग प्लेटफार्म में , साइबर सिक्योरिटी एप्लीकेशन में डेटा कलेक्शन के लिए हो सकता है।

IoT और 5G

भारत में 5G लॉन्च हो चूका है और बहुत से लोग इसका इस्तेमाल कर पा रहे हैं। जैसे-जैसे इंटरनेट की स्पीड बढ़ेगी, वैसे-वैसे हमारी जिंदगी में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) का आना आसान हो जाएगा। इंटरनेट अब कंप्यूटर और मोबाइल से निकल कर हमारे कई डिवाइस तक पहुंच गया है। धीरे-धीरे ये हमारे पूरे काम-काज में भी पहुंच जाएगा। IoT में रियल डेटा शेयरिंग होगी और IoT की वजह से स्मार्ट सिटी, रोबोट से होने वाली खेती और सेल्फ-ड्राइविंग हाईवे सिस्टम डेवलपमेंट आसानी से हो पाएगा।

ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरफेस

स्मार्टवॉच और फिटनेस बैंड तो आज कल सबके हाथ में रहता है। कभी सोचा है आपने कि कैसे वो सिर्फ ह्यूमन टच से हमारे बारे में इतना कुछ बता देती है? कैसे उससे हम कई हेल्थ रिलेटेड डेटा को नाप लेते है? तो आपकी जानकारी के लिए बता देते है कि ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरफेस (Human-Computer Interface) टेक्नोलॉजी से वियरेबल डिवाइस (Wearable Device) को बनाने में मदद मिलती है। इन डिवाइस को आसानी से पहना जा सकता है और ये इनसाइट्स प्रोवाइड करवाते हैं। पर सोचने वाली बात ये है कि क्या ये टेक्नोलॉजी सिर्फ यही तक सीमित रहेगी? नहीं, बनने को जूतों से लेकर कपड़ो तक ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरफेस से बन सकता है। टेक्नोलॉजी के साथ ये बहुत अच्छा होता है कि ये जितना एडवांस होती है उतनी साइज में छोटी होती जाती है। इस वजह से आने वाले समय में ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरफेस की वजह से स्मार्ट ग्लास स्मार्ट कॉन्टैक्ट लेंस से रेप्लस हो सकते हैं और फिर स्मार्ट कॉन्टैक्ट लेंस को स्मार्ट ऑय इम्प्लांट रेप्लस कर सकता है।

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