
काफी बार आपने देखा होगा की लोग की पूरा दिन में आप जिस भी बारे में बात करते है या कुछ अपने फोन में एक बार Search करते हो तो उसी से रिलेटेड विज्ञापन आपके फोन में आने लगते है क्या आपने कभी सोचा है ऐसा कैसे होता है. क्या आप को भी लगता आपने कभी इसके बारे में शायद आज से पहले सीरियस होकर नहीं सोचा होगा. चलिए जानते है ऐसा क्यों होता है।
Digital Tracking
आजकल वेबसाइट्स, ऐप्स, और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स आपकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखते हैं. जब आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं, कुछ सर्च करते हैं या किसी प्रोडक्ट के बारे में जानकारी लेते हैं, तो आपका डेटा ट्रैक होता है और कंपनियां उसी से रिलेटेड विज्ञापन आपके फोन में देने लगती है।
Microphone Access
अगर आप किसी डिवाइस के ऐप्स को माइक्रोफोन एक्सेस करने की अनुमति दे देते है तो संभव है कि आपकी बातें सुनी जा रही हों और उस आधार पर विज्ञापन दिखाए जा रहे हों.
Cross-Device Tracking
Cross-Device Tracking का इस्तेमाल करके ब्राउज़िंग डेटा को स्टोर किया जाता है. अगर आपने किसी डिवाइस पर कुछ सर्च किया है और दूसरी डिवाइस में लॉगिन किया है, तो क्रॉस-डिवाइस ट्रैकिंग की मदद से भी आपको वही विज्ञापन दिख सकते हैं. कई कंपनियां रीमार्केटिंग तकनीक का उपयोग करती हैं, जिसमें उन्होंने आपके द्वारा देखे गए उत्पाद या सेवाओं के आधार पर आपको बार-बार विज्ञापन दिखाए जाते है।
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