
नई दिल्ली: देश की प्रधान न्यायालय ने दिल्ली सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए है। राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए और केंद्र सरकार द्वारा सुझाए गए उपायों के कार्यान्वयन पर शीर्ष न्यायालय असंतोष व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से संबंधित 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे द्वारा दायर एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की पीठ ने कहा कि ‘कैसे बच्चों को अभी भी स्कूलों में जाने के लिए मजबूर किया जाता है, हालांकि दिल्ली सरकार ने आश्वासन दिया था कि सभी कक्षाएं ऑनलाइन होंगी’।
कोर्ट ने कहा- आज की इंडियन एक्सप्रेस देखिए
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इंडियन एक्सप्रेस की ख़बरों का हवाला दिया और दिल्ली सरकार से कहा कि ‘आपने हमें बताया कि स्कूल बंद हैं लेकिन ऐसा नहीं है। 3 से 4 साल के बच्चों को स्कूल भेजा जा रहा है।‘
सीजेआई ने कहा “बुजुर्गों को घर से काम करना पड़ता है और बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है। आपने पहले दिन से आश्वासन दिया है कि घर से काम करना है और आप लॉकडाउन आदि के लिए तैयार हैं। आपने स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए हैं लेकिन स्कूल ?”
कोर्ट ने आगे कहा, आप हमारे कंधों से गोलियां नहीं चला सकते, आपको कदम उठाने होंगे। हम आपकी नौकरशाही में रचनात्मकता को लागू या थोप नहीं सकते हैं, आपको स्वयं कुछ कदम उठाने होंगे
बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि “कुछ भी पालन नहीं किया गया है। जब हम कोर्ट में आए तो बीच सड़क पर ‘पर्यावरण बचाओ’ के बैनर लिए लोग बैठे हैं”
बता दें केंद्र सरकार ने कोर्ट को बीते दिनों बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल विस्टा निर्माण को छोड़कर सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया गया है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में दायर हलफनामे में ये कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना एक राष्ट्रीय महत्व रखता है इसलिए इसपर रोक नही लगाई गई।