‘EWS आरक्षण’ के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, CJI यू यू ललित आरक्षण के खिलाफ

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने आज हरि झंडी दिखा दिया है। इसी के साथ आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए इसे संवैधानिक बताया है। वहीं पांच जजों की बेंच में से तीन जजों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया है। इन जजों का कहना है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। वहीं CJI यू यू ललित EWS आरक्षण के खिलाफ में फैसला सुनाया है, जबकि जस्टिस एस. रवींद्र भट ने असहमति जताते हुए इसे अंसवैधानिक करार दिया है।
CJI UU Lalit agreed with Justice S Ravindra Bhat & gave a dissent judgement
— ANI (@ANI) November 7, 2022
Five-judge Constitution bench by a majority of 3:2 upholds the validity of Constitution’s 103rd Amendment Act which provides 10% EWS reservation in educational institutions and government jobs pic.twitter.com/OwGygzSTpP
3:2 के बहुमत से 10 फीसदी आरक्षण रहेगा बरकरार
बता दें, EWS कोटे की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद इस मामले में कई याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था को संवैधानिक करार दिया। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS कोटे के पक्ष में फैसला सुनाया है।
वहीं जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के फैसले को सही ठहराया है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपनी राय सुनाते हुए कहा कि सवाल बड़ा ये था कि क्या EWS आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। EWS आरक्षण सही है, ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता।