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Uttarakhand: मानसून में खोखले नजर आएं आपदा प्रबंधन विभाग के दावे

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मानसून सीजन ने प्रदेश में अपनी दस्तक दे दी है। जहां आपदा प्रबंधन द्वारा मानसून से निपटने के लिए तमाम दावे किए जा रहे हैं। मगर इससे पूर्व आई कई आपदा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां पर मानसून सीजन में तो आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा तमाम दावे किए गए। मगर जैसे-जैसे समय बीता ये सभी दावे खोखले नजर आए। जिला मुख्यालय पौड़ी से सटे बैंग्वाड़ी गांव में 2021 मई माह में आपदा ने अपनी दस्तक दी थी। आपदा के दौरान गांव को जोड़ने वाला पैदल मार्ग, पेयजल लाइन और ग्रामीणों के पशुओं के रहने का आवास भी आपदा से जमीन दोज हो गया था।

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मगर 2 वर्ष से अधिक समय बिताने के बाद भी अब तक आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन द्वारा गांव के पैदल मार्ग को चलने लायक तक नहीं बनाया जा सका है। इसके साथ ही आज भी बैंग्वाड़ी गांव के  ग्रामीण वैकल्पिक पेयजल व्यवस्था से ही अपनी जल आपूर्ति कर रहे है ग्राम प्रधान बैंग्वाड़ी मधु कुशाल ने कहा आपदा के दौरान जिला प्रशासन द्वारा पैदल मार्ग, पेयजल लाइन आदि को ठीक करने को लेकर तमाम दावे किए गए थे मगर 2 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी गांव में कुछ नहीं बदला है।

तो वहीं मुख्य मार्ग में सब्जी की दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला दिव्यांग संजय भी बरसात के मौसम में डरा सहमा सा है। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में उबड़ खाबड़ रास्ते में चलने में उन्हें दिक्कत होती है। जिसके कारण बरसात के मौसम में उन्हें अपनी दुकान बंद ही करनी पड़ती है। संजय ने बताया कि इसके साथ ही बढे हुए जलस्तर के कारण वे अपने बच्चों को भी स्कूल नहीं भेज पाते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है, कि जिला प्रशासन पैदल मार्ग को ठीक करवाए।

इसके साथ ही 2021 आपदा में आए भारी भरकम बोल्डर को भी हटाया जाए। जिससे सभी को आने जाने में आसानी हो सकेगी। वही इस पूरे मामले में जिलाधिकारी पौड़ी डॉ आशीष चौहान ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में अभी आया है उन्होंने कहा कि उनके द्वारा तत्काल मामले को दिखाने के बाद संबंधित गांव के रास्ते का पुनर्निर्माण, क्षतिग्रस्त पेयजल लाइन को ठीक करवाने और अन्य सुविधाओं को पूर्व की भांति स्थापित करने के लिए जल्द धन आवंटित कर दिया जाएगा।

हालांकि जिला प्रशासन द्वारा तमाम दावे मानसून सीजन से पूर्व आपदा से निपटने के लिए किए जाते हैं। मगर 2 साल बीत जाने के बाद भी आपदा ग्रस्त इलाकों में रास्ते जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध ना करवा पाना आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन के दावों की पोल खोलता हुआ दिखाई देता है। जिला प्रशासन इस पूरे मामले में कितनी तत्परता से अब कार्रवाई आगे बढ़ाता है ये देखना होगा। अगर एक बार फिर से जिला प्रशासन द्वारा लेटलतीफी इस मामले में की गई तो इससे जाहिर हो जाएगा कि जिला प्रशासन मानसून सीजन में कितना गंभीर है।

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