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उत्तर प्रदेश: कड़ी मेहनत के बाद फौजी बनने का सपना हुआ पूरा, मजदूर का बेटा बना गांव का पहला युवा सैनिक

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उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के युवा दुर्गेश ने कड़ी मेहनत से आज सैन्य वर्दी हासिल की है। सेना में तैनात होने से दुर्गेश ने अपने गांव और क्षेत्र का नाम रोशन किया है और अपने परिवार का भी मान बढ़ाया है। दुर्गेश के पिता अर्जुन कुमार बहुत गरीब हैं, लेकिन उन्होंने मनरेगा में काम करके अपने बेटे को पढ़ाया है। वहीं, आज उनके बेटे ने उनका सम्मान और गौरव बढ़ा दिया है। वह अपने बेटे को सेना की वर्दी में देखकर रोने लगे। दुर्गेश कुमार गांव के पहले युवा सैनिक हैं।

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पिता के संघर्ष और बेटे की मेहनत

युवा दुर्गेश कुमार अमेठी जिले के गौरीगंज तहसील के पूरे प्रेम पहाड़गंज गांव के रहने वाले हैं और अपने पिता के संघर्षों और खुद की मेहनत दोनों को एकजुट करके आर्मी की वर्दी हासिल की है। दुर्गेश ने सिर्फ बारहवीं कक्षा पूरी की है। इसके बाद वह देश की सेवा करने के लिए सेना में शामिल होने की कोशिश करने लगा। दुर्गेश को कई बार असफलता भी हुई, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष को कम नहीं किया। दुर्गेश ने तीसरी बार सेना में शामिल होने के लिए संघर्ष किया। दुर्गेश को हिमाचल प्रदेश में तैनात किया गया है।

कड़ी मेहनत के बाद मिली सफलता

दुर्गेश ने बताया कि मुझे यह वर्दी बहुत मेहनत के बाद मिली है। मैं संसाधनों का अभाव था। सुबह चार बजे उठकर मैं रनिंग करता था। पेपर के समय मैंने दूसरों से किताबें मांग कर पढ़ाई की है। साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग भी बहुत कठिन थी। मैंने इस दौरान कई साथियों से ट्रेनिंग छोड़ने की विनती की, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मेरा घर अच्छा नहीं था। मैं सेना में शामिल होकर देश की सेवा करनी थी। मैं सभी को यही संदेश देना चाहता हूँ कि किसी भी काम के लिए पीछे हटने की जरूरत नहीं है।

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