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UP News: पति-पत्नी को साथ में रहने के लिए मजबूर करना हानिकारक, इलाहाबाद HC ने सुनाया फैसला

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UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी दंपति को जबरन साथ रहने के लिए कहता है या बाध्य करता है तो यह विवाह तोड़ने से भी हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने केस पर फैसला सुनाते हुए पति के तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी।

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क्या है पूरा मामला

दरअसल, अशोक झा (Ashok Jha) नाम का एक व्यक्ति अपनी तलाक की अर्जी लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा था। उसकी अर्जी को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ती अरूण कुमार सिंह (Arun Kumar Singh) की खंडपीठ ने कहा कि ‘मौजूदा मामले में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ विवाह की पवित्रता भंग करने के आरोप लगाए हैं।’ पीठ ने कहा, ‘‘यह दंपति 10 वर्षों से अधिक समय से अलग रह रहा है और पत्नी द्वारा पति के खिलाफ आपराधिक शिकायतों समेत कई शिकायतें दर्ज कराई गई हैं और पति के उत्पीड़न के सभी प्रयास किए गए हैं।’’

साथ रहने के लिए बाध्य करना सही नहीं

न्यायमूर्ती ने आगे कहा कि ‘अपील करने वाले शख्स ने अपनी पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। वह किसी तरह भी अपनी पत्नी के साथ सुलह के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में दंपति को साथ रहने के लिए बाध्य करना सही नहीं होगा।’ जिसके बाद हाई कोर्ट ने पति से हुए उत्पीड़न का हवाला देते हुए दंपति के बीच तलाक करवा दिया। बता दें कि पति ने गाजियाबाद के परिवार अदालत के न्यायाधीश के सात सितंबर 2019 को दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए मौजूदा प्रथम अपील दायर की थी। गाजियाबाद की अदालत ने तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी। 

संपत्ति को लेकर था गंभीर विवाद

हाई कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को यह फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘इस मामले के तथ्यों से स्पष्ट रूप से यह साबित होता है कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए हैं और संपत्ति को लेकर दोनों के बीच गंभीर विवाद है। इसके अलावा, दोनों पक्ष एक दूसरे पर विवाहेतर संबंध के भी आरोप लगा रहे हैं। इसलिए, एक दूसरे के प्रति घृणा के बावजूद उन्हें साथ रहने के लिए बाध्य करना क्रूरता के समान होगा।’’

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